स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को सराहा : देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का देवभूमि उत्तराखंड से विशेष लगाव रहा है। प्रधानमंत्री के “मन की बात” कार्यक्रम में उत्तराखंड छाया रहा है। शारदीय नवरात्रि के शुभारंभ पर आगामी तीन अक्टूबर को “मन की बात कार्यक्रम” दस वर्ष पूर्ण कर लेगा। इन दस वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार उत्तराखंड का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में महिलाओं, युवाओं और विभिन्न सामाजिक संगठनों ने अपने कार्यों से पूरे देश और समाज के सामने आदर्श मिसाल पेश की है। कई कार्यो को प्रेरणाजनक बताते हुए उन्होंने पूरे देश का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उत्तराखंड से अगाध प्रेम है। उत्तराखंड उनके दिल में बसता है। यह उनके देवभूमि से असीम लगाव को ही प्रदर्शित करता है कि प्रधानमंत्री ने “मन की बात” कार्यक्रम में देवतुल्य जनता, प्राकृतिक संपदा, रीति-नीति और लोक परंपराओं का अक्सर जिक्र किया है। इस कार्यक्रम ने छोटे से छोटे स्तर पर काम करने वालों को भी देश-दुनिया मे पहचान दी है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि नवरात्रि के शुभारंभ पर आगामी तीन अक्टूबर को “मन की बात” कार्यक्रम के 10 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। दस वर्षों में इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रधानमंत्री ने सामाजिक संगठनों और लोगों द्वारा जनहित में किए गए अनेक कार्यों का जिक्र कर लोगों को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित किया है।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से आह्वान किया है कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के प्रधानमंत्री के संकल्प को पूरा करने के लिए हम सबको अपना योगदान देना है।
हर गांव में शुरू हो धन्यवाद प्रकृति अभियान
मन की बात के 114वें संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनपद उत्तरकाशी के सीमांत गांव झाला का जिक्र किया। इस गांव के ग्रामीण हर रोज दो-तीन घंटे गांव की सफाई में लगाते हैं। गांव का सारा कूड़ा कचरा उठाकर गांव से बाहर निर्धारित स्थान पर रख दिया जाता है। ग्रामीणों ने इसे धन्यवाद प्रकृति अभियान नाम दिया है। प्रधानमंत्री ने ग्रामीणों की मुहिम की सराहना कर कहा कि देश के हर गांव में यह अभियान शुरू होना चाहिए।
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जखोली में महिलाओं ने जलस्रोत किए पुनर्जीवित
रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली ब्लॉक की ग्राम पंचायत लुठियाग में महिलाओं ने जल संरक्षण की दिशा में सराहनीय पहल की है। चाल-खाल (छोटी झील) बनाकर बारिश के पानी का संरक्षण किया। इस मुहिम से गांव में सूख चुके प्राकृतिक जलस्रोत पुनर्जीवित होने से पेयजल की किल्लत काफी हद तक दूर हो गई है और सिंचाई के लिए भी पानी मिलने लगा है। प्रधानमंत्री ने महिलाओं के प्रयासों की सराहना कर इसे अनुकरणीय बताया। यहां ग्रामीणों को पानी के लिए तीन किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता था।