मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि संगोष्ठी के दौरान विचार-विमर्श से अंतरराष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष के उद्देश्य की सफलता में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि एक ओर बाजरा किसानों के लिए उनकी कम उत्पादन लागत के लिए उपयोगी है और दूसरी ओर उच्च पोषक मूल्य के कारण वे सभी के लिए आवश्यक हैं।
सीएम ने कहा कि यह देश के लिए गर्व की बात है कि भारत के प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष घोषित किया है।
उन्होंने कहा कि बाजरा पर कई स्टार्ट-अप शुरू हो गए हैं जो किसानों की मदद कर रहे हैं और रोजगार पैदा कर रहे हैं।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाजरा का नाम यूँ ही ‘श्री अन्न’ इसलिए रखा है क्योंकि श्री से पूर्णता, विजय और समृद्धि का बोध होता है।
धामी ने कहा कि राज्य सरकार सरकारी योजनाओं से किसानों को बाजरे की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
उत्तराखंड कृषि विपणन बोर्ड एवं सहकारिता विभाग पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों से बाजरा जैसे रागी (मांडवा), बरनी बाजरा (झंगोरा) और अमरनाथ अनाज (चौलाई) की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कर रहा है।
किसानों को ऑनलाइन भुगतान किया जा रहा है जिससे किसान बाजरे की खेती के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के वातावरण के अनुरूप बाजरे की खेती को बढ़ावा देना जरूरी है ताकि राज्य बाजरा उत्पादन में देश में शीर्ष स्थान हासिल कर सके।
उन्होंने लोगों से त्योहारों और अपने आहार में बाजरा उत्पादों का उपयोग करने का भी आह्वान किया।
कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि दुनिया में बाजरा के लिए एक नई रुचि पैदा हुई है और भारत में लोग बाजरा पर पीएम मोदी की पहल के बाद श्री अन्न (बाजरा) के प्रति उत्साहित हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने रागी (मांडवा) का एमएसपी 35.78 रुपये निर्धारित किया है और इसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत राशन की दुकानों के माध्यम से वितरित किया जा रहा है।
जोशी ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2025 तक बाजरे के उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।