राहुल गांधी इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में माफी तक मांग चुके हैं।
राफेल विमानों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई मंजूर की थी लेकिन राहुल गाँधी ने बयान जारी कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बात का समर्थन कर दिया है।
भाजपा ने इस बयान को सुप्रीम कोर्ट का अपमान बताया था।
कोर्ट ने भी नाराजगी दिखाई तो राहुल गांधी को माफी मांगनी पडी थी।
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इसी तरह राहुल गाँधी को कूटनीति की भी समझ नहीं है जिसका सबसे पहला फार्मूला होता है दोस्त का दुश्मन दोस्त।
इसे लोहे से लोहा काटना भी कहते हैं। राहुल गांधी को महाराष्ट्र में बेहतरीन अवसर मिला लेकिन वह और उनकी कांग्रेस ने शिवसेना की नाक में दम किये रखा।
अंततः शिवसेना में फूट पड गयी और एकनाथ शिन्दे ने भाजपा की मदद से सरकार बना ली।
भाजपा ने हर संभव कोशिश कर अपने दोस्त शिवसेना को दुश्मन नहीं बनने दिया।
उद्धव ठाकरे के गुट को कांग्रेस की मदद की जरूरत है लेकिन राहुल गाँधी का सावरकर फोबिया शिवसेना के लिए असमंजस पैदा करता है।
संजय रावत को यह कहना ही पडा कि राहुल के इस प्रकार के बयानों से महा अघाडी गठबंधन टूट सकता है।
राहुल गांधी इसके लिए जिम्मेदार होंगे।
वरिष्ठ नेता शरद पवार से भी सीखना नहीं चाहते जो महाअघाडी गठबंधन को बनाए रखने का बार बार आश्वासन देते हैं।
क्योंकि शिवसेना को साथ रखकर ही अब महाराष्ट्र में सरकार बनाने की संभावना बची है।
राहुल गांधी इन दिनों भारत जोड़ो यात्रा पर हैं और ये यात्रा वर्तमान समय में महाराष्ट्र से गुजर रही है।
महाराष्ट्र में इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने वीर सावरकर को लेकर ऐसा बयान दे दिया जिसको लेकर भाजपा ही नहीं उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना आग बबूला हो चुकी है।
उद्धव ठाकरे के बाद संजय राउत ने राहुल गांधी के सावरकर के बयान पर ऐसा बयान दिया है जिसके बड़े राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा का महाराष्ट्र में 11वां दिन था।
उसी दिन राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सावरकर की चिट्ठी पढ़ी।
उन्होंने वहां मौजूद लोगों से कहा, मेरे पास सावरकर जी की चिट्ठी है।
ये खत उन्होंने अंग्रेज अधिकारी को लिखा था। आज मैं उसे पढ़कर सुनाता हूं।
जिसमें उन्होंने लिखा है, सर मैं आपका नौकर रहना चाहता हूं। ये आप पढ़ लीजिए। देख लीजिए।
चाहें तो देवेंद्र फडणवीस जी भी ये देख लें। मोहन भागवत जी को भी दिखाएं। इस चिट्ठी से यह साफ है कि दामोदर सावरकर जी ने अंग्रेजों की मदद की। वीर सावरकर को लेकर राहुल गांधी का हमलावर रुख जारी रहा।
उन्होंने कहा, श्इस चिट्ठी पर सावरकर जी के दस्तखत हैं। गांधी जी, नेहरू जी और पटेल जी भी जेल में रहे।
कभी किसी ने ऐसी चिट्ठी पर साइन नहीं किया था। राहुल गांधी के इस बयान के बाद महाराष्ट्र में तो भूचाल ही आ गया।