मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को आई.एस.बी.टी. के समीप स्थित होटल में आयोजित “बढ़ता उत्तराखण्ड कार्यक्रम में राज्य के विकास से संबंधित विभिन्न विषयों पर अपने विचार रखे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए 2022 के चुनाव में जनता से वादा किया था।
सरकार के गठन के बाद हमने पहला निर्णय इस संबंध में कमेटी गठन का किया।
कमेटी ने 2.33 लाख लोगों से सुझाव लेने तथा तमाम संगठनों, संस्थाओं के साथ राज्य की तमाम जनजातियों के भी सुझाव कमेटी ने लिए है।
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देश के अंदर समान नागरिक कानून होना चाहिए। यह जनता की मांग रही है और इसकी शुरुआत उत्तराखण्ड से होगी। संवैधानिक व्यवस्थाओं के तहत हम इसी साल राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू करेंगे।
सीएम ने कहा कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी दोनों पहाड़ के काम आए, और इस पर काम किया जा रहा है।
टिहरी डैम बांध, पानी और बिजली की आपूर्ति का काम किया जा रहा है।
युवाओं को स्वरोजगार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ा जा रहा है।
राज्य के युवा अपनी प्रतिभा का परिचय दे रहे हैं। अब प्रदेश में रिवर्स पलायन की ओर युवा लौट रहे हैं।
कोरोना महामारी के बाद, लोग अपने क्षेत्रों में स्वरोजगार पर ध्यान दे रहे हैं। राज्य का पलायन आयोग भी इस दिशा में काम कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की विशेष भौगोलिक परिस्थितियां राज्य के विकास में बाधा नहीं बनने दी जाएगी, और इसके अनुसार पहाड़ और मैदानी क्षेत्रों के लिए नीतियां तैयार की जा रही हैं।
राज्य ने हाल ही में राज्य के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए 27 क्षेत्रीय नीतियां बनाई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रदेश हिमालय की गोद में बसा है, और हम इसे सुरक्षित रखने के लिए काम कर रहे हैं।
जोशीमठ की आपदा के बाद प्रदेश के शहरों की धारणा क्षमता की गणना की जा रही है, और इकोलॉजी और इकोनॉमी के समन्वय के लिए योजनाएं बनाई जा रही हैं। आपदा के प्रभावों को कम करना हमारा लक्ष्य है।
सामाजिक और सांस्कृतिक समृद्धि की दिशा
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य 71 प्रतिशत वन भू-भाग वाला है, और वन क्षेत्र के साथ अन्य सरकारी भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को हटाने का काम किया जा रहा है।
3 हजार हेक्टेयर वन भूमि पर से अतिक्रमण हटाए गए हैं। जो भी निर्माण अतिक्रमण की जद में आया है, उन्हें तोड़ दिया जा रहा है।
सीएम धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड में सभी आपसी भाईचारे से रहते हैं, और राज्य में धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़ी योजनाएं बनाई जा रही हैं।
धोखे और लालच से लोगों को धर्मांतरित किया जा रहा था। इसे रोकने के लिए देवभूमि की मूल संस्कृति को बनाए रखने की आवश्यकता है।
उन्होने ने कहा कि उत्तराखण्ड एक शांत प्रदेश है, जहाँ कानूनी व्यवस्था मजबूत है। बिना पहचान और वेरिफिकेशन के लोग अवैध रूप से रह रहे हैं, जिससे हो रहे डेमोग्राफिक बदलाव की दिशा में भी नजर रखने की आवश्यकता है।
उत्तराखण्ड में कानूनी व्यवस्था को सुरक्षित बनाने के लिए किसी को भी अवमानित नहीं किया जाएगा, और किसी भी तरह के पक्षपात का स्थान नहीं है। सभी का समान व्यवहार किया जाता है, चाहे वो किसी भी मजहब, जाति, धर्म, या पंथ का हो।