दुनिया की टॉप 3 खुफिया एजेंसियां : किसी देश की सुरक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि उसके पास दुश्मनों की खुफिया जानकारियां कितनी और कब पहुंचती हैं. दुनिया भर के देशों की खुफिया एजेंसियां इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. ये एजेंसियां ही अपने देश के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारियां जुटाती हैं. अपने देश हित में गुप्त अभियान भी चलाती हैं. साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरों का आकलन करती हैं. आइए जान लेते हैं दुनिया की टॉप 10 खुफिया एजेंसियां के बारे में कि इनके बनने की कहानी क्या है.
CIA: दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पड़ी थी नींव
अमेरिका की खुफिया एजेंसी सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (CIA) को दुनिया की सबसे प्रसिद्ध खुफिया एजेंसी माना जाता है. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट ने ऑफिस ऑफ द कोऑर्डिनेटर ऑफ इन्फॉर्मेशन (सीओआई) की स्थापना की थी. तारीख थी 11 जुलाई 1941. इसका उद्देश्य युद्ध से जुड़ी दूसरे देशों की खुफिया सूचनाएं जुटाना था. इसके बाद 13 जून 1942 को अमेरिका में एक केंद्रीयकृत खुफिया एजेंसी की स्थापना की गई, जिसको नाम दिया गया इंटेलीजेंस एजेंसी ऑफिस ऑफ स्ट्रेटेजिक सर्विसेज (ओएसएस).
हालांकि, साल 1947 आते-आते राष्ट्रपति ट्रूमैन को लगा कि देश में पूरी तरह से क्रियाशील एक इंटेलीजेंस ऑर्गनाइजेशन होना चाहिए. इसके लिए उन्होंने नेशनल सिक्योरिटी एक्ट पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत 18 सितंबर 1947 को CIA की स्थापना की गई. इस एक्ट के जरिए CIA को एक स्वतंत्र नागरिक इंटेलीजेंस एजेंसी की मान्यता दी गई.
मोसाद: सबसे सम्मानित इजराइली खुफिया एजेंसी
इजराइल की खुफिया एजेंसी का नाम है मोसाद. यह अपने कारनामों के कारण दुनियाभर में सबसे ज्यादा सम्मानित है. कहा जाता है कि इजराइल की सुरक्षा के लिए यह एजेंसी दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ़कर अपने दुश्मन को मारता है. माना जाता है कि जो एक बार मोसाद की हिट लिस्ट में आ जाता है, उसका बचना असंभव हो जाता है.
इजराइल की स्थापना के साथ ही मोसाद की भी स्थापना की नींव पड़ गई थी. देश की स्थापना के साथ ही प्रधानमंत्री बने डेविड बेन गुरियोन को ऐसी खुफिया एजेंसी की आवश्यकता लगी, जो सेनाओं के खुफिया विभाग और अन्य सभी सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय स्थापित कर सके. इसके लिए खुफिया एजेंसी का गठन 13 दिसंबर 1949 को किया गया. इस खुफिया एजेंसी का पहला निदेशक रुवेन शिलोह को बनाया गया था.मोसाद का पूरा नाम है मोसाद ले-मोदीइन उले-तफकिदिम मेयुहादिम यानी सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस. इसका मुख्यालय तेल अवीव में है.
RAW: एक असफलता ने तैयार की भारत की खुफिया एजेंसी
यह साल 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की बात है. 22 दिनों तक चले इस युद्ध में भारत का पलड़ा जरूर भारी था पर पाकिस्तान के बारे में और अधिक सूचना होती तो शायद इस युद्ध का नतीजा कुछ और ही होता. दरअसल, 22 सितंबर 1965 को जब युद्धविराम की घोषणा की गई, तब तक पाकिस्तान के सभी हथियार खत्म हो चुके थे. पाकिस्तान को हथियार देने पर अमेरिका ने प्रतिबंध भी लगा दिया था, इसलिए उसे हथियारों की सप्लाई भी संभव नहीं थी.
हालांकि, तब भारत की आंतरिक खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) इस बारे में जानकारी नहीं जुटा पाई थी. इसके कारण युद्ध अनिर्णय की स्थिति में खत्म हुआ. पाकिस्तान की स्थिति की जानकारी होती तो नतीजा कुछ और ही होता.
इस असफलता का पता चलने पर भारत ने देश के बाहर से खुफिया जानकारियां इकट्ठा करने के लिए एक नई एजेंसी के गठन का फैसला किया. 21 सितंबर 1968 को इस खुफिया एजेंसी का गठन किया गया और नाम रखा गया रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ). रामेश्वर नाथ काव को रॉ का पहला प्रमुख और संकरन नायर को दूसरे नंबर पर जिम्मेदारी दी गई. साथ ही आईबी से करीब 250 लोगों को रॉ में ट्रांसफर कर इस एजेंसी की शुरुआत की गई.

