उत्तराखंड : उच्च न्यायिक सेवा के तीन जजों ने शासन की ओर से अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की विशेष खंडपीठ ने सरकार का जवाब तलब किया है।
वह रिकॉर्ड कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है जिस आधार पर इन जजों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की संस्तुति पर राज्यपाल ने निचली अदालतों के तीन न्यायाधीशों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति दे दी थी।
इनमें हरिद्वार के श्रम न्यायालय में पीठासीन अधिकारी राजेंद्र जोशी, काशीपुर के श्रम न्यायालय में पीठासीन अधिकारी शमशेर अली और चतुर्थ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेष चंद्र शामिल हैं।
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शासन ने हायर ज्यूडिशियल सर्विस रूल्स की धारा 25 (अ) का हवाला देते हुए मुख्य न्यायाधीश की संस्तुति के आधार पर 21 सितंबर 2023 को इन जजों को कार्मिक सचिव शैलेश बगौली के हस्ताक्षरों से अनिवार्य सेवानिवृत्ति आदेश जारी किया था।
आरोप था कि उनके खिलाफ शिकायतें मुख्य न्यायाधीश के पास आई थी, जिसकी वजह से उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई।
आदेश को दी गई है चुनौती इन न्यायाधीशों ने जबरन सेवानिवृति के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि उनकी सेवाएं हमेशा उत्कृष्ट रही हैं।
उनकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति से पूर्व हाईकोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश ने उनकी एसीआर को उत्कृष्ट बताया लेकिन उसके तुरंत बाद उन्हें जबरन सेवानिवृत्त कर दिया गया।