आयुष एवं एफएसडीए मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ने बताया कि इसको लेकर आयुष विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है।
जल्द ही प्रदेशभर में इसे लागू किया जाएगा, इसके बाद लाइसेंसधारी दवा दुकानों को चिन्हित करना और उनकी जांच करना आसान होगा।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौरान आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल बढ़ा है।
यही वजह है कि बाजार में कम गुणवत्ता और घटिया आयुर्वेदिक दवा की जमकर बिक्री हो रही है।
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ऐसे में अब सरकार आयुर्वेदिक दवा की गुणवत्ता को लेकर गंभीरता दिखा रही है।
सरकार की तरफ से क्षेत्रीय आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारियों को प्रति माह न्यूनतम दो दवा के सैंपल लेने और उनकी जांच के निर्देश जारी किए गए हैं।
इस तरह घटिया दवा बनाने वाली कंपनियों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है।