आजादी की जंग का गवाह रहे आजाद मैदान की कहानी : महायुति गठबंधन की सरकार 5 दिसम्बर को मुंबई के आजाद मैदान में शपथ लेगी. देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे. इसी घोषणा के साथ मुंबई का आजाद मैदान छावनी में तब्दील हो गया है. आजाद मैदान ने बंबई को मुंबई में बदलते हुए देखा है. आजादी की जंग की गवाह रहा है. महात्मा गांधी की कई महत्वपूर्ण सभाएं यहीं हुईं. पढ़ें आजाद मैदान का इतिहास।
आजाद मैदान ने बंबई को मुंबई में बदलते हुए देखा है. आजादी की जंग की गवाह रहा है. महात्मा गांधी की कई महत्वपूर्ण सभाएं यहीं हुईं. आज़ाद मैदान 1987 के हैरिस शील्ड स्कूल मैच का भी गवाह रहा है, जिसमें सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने 664 रन की विशाल साझेदारी की थी, जो रिकॉर्ड बुक में दर्ज हुआ।
हिन्दू और मुस्लिम दोनों के लिए खास, बापू से कनेक्शन
आज़ाद मैदान मुंबई में रामलीला का स्थल भी है. हर साल सुन्नी वार्षिक इज्तेमा आज़ाद मैदान में आयोजित किया जाता है. 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को समर्पित अमर जवान ज्योति स्मारक भी आजाद मैदान के बाहर स्थित है. 1930 में आज़ाद मैदान बम्बई के सविनय अवज्ञा आंदोलन का केंद्र भी था. जब मई 1930 में महात्मा गांधी को गिरफ्तार किया गया, तो शहर में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए और आज़ाद मैदान सहित कई जगहों पर सामूहिक रैलियां निकाली गईं. 25 जनवरी, 1931 को बापू की रिहाई हुई तो वो शहर की यात्रा पर निकले. भारी भीड़ ने उनका स्वागत किया. 26 जनवरी 1931 को आजाद मैदान में एक सार्वजनिक सभा बुलाई गई थी, क्योंकि यह पूर्ण स्वराज की घोषणा के बाद पहला साल था।
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महात्मा गांधी को रद्द करनी पड़ी सभा
दो लाख से अधिक श्रमिक, महिलाएं और छात्र शामिल हुए. जब महात्मा गांधी अपना भाषण देने के लिए मंच पर पहुंचे तो भीड़ इतनी अधिक हो गई कि भगदड़ मच गई और सभा रद्द करनी पड़ी.मार्च 1931 में बापू मुंबई वापस लौटे और गांधी मैदान में एक और सार्वजनिक बैठक आयोजित की गई. सुरक्षा के बावजूद, जैसे ही बापू ने बोलना शुरू किया, भीड़ का उत्साह इतना बढ़ गया कि फिर सभा रद्द कर दी गई, जैसा पहले हुआ था. इस तरह आजाद मैदान पूरे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सक्रियता का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना रहा।
आज़ाद मैदान के सामने ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित बॉम्बे जिमखाना है, जिसे दिसंबर 1933 में भारत के पहले टेस्ट मैच की मेजबानी करने का गौरव प्राप्त था, जब टीम की कप्तानी कर्नल सीके नायडू ने की थी. इस मैदान में यह दूसरा शपथ ग्रहण समारोह है. नवंबर 2004 में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे विलासराव देशमुख ने दूसरी बार आजाद मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.यह जगह इसलिए भी खास है क्योंकि यह तीन प्रतिष्ठित इमारतों छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, एस्प्लेनेड कोर्ट यानी किला कोर्ट और बृहन्मुंबई नगर निगम के मुख्यालय के पास है।