जहा एक तरफ सरकार द्वारा इस बजट को युवाओं के लिए कल्याणकारी बताया जा रहा है।
वहीं दूसरी तरफ बेरोजगारी से परेशान युवा सड़को पर आंदोलन करते नजर आ रहे है ।
कोविड के दौरान अपनी सेवाए देने वाले पेरा मेडिकल स्टाफ को भी सरकार ने पद मुक्त कर दिया गया है।
राज्य सरकार अबतक 99 हजार 749 करोड़ का कर्ज केन्द्र से ले चुकी है।
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वही अबतक प्रदेश का पूरा कर्ज 1लाख 34 हजार 769 तक पहुंच चुका है।
जिसपर 6 हजार 161 करोड़ का ब्याज राज्य सरकार द्वारा दिया जा रहा है।
इस बार गौरा देवी कन्या धन योजना का बजट भी घटाया गया है, प्रदेश की एक बड़ी समस्या पलायन भी है।
जिसको लेकर सरकार कुछ करने को लेकर तयार नहीं है।
वही उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वालीं चार धामयात्रा पर भी मात्र 10 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है।
जो की नाकाफी और बेहद शर्मनाक है।
भाजपा का यह बजट आम आदमी की कमर तोड़ने का काम करेगा ।
इसकी कई संभावनाएं बनती नजर आ रही है।