देवभूमि उत्तराखंण्ड में कई रहस्य छिपे हुए हैं, उन्हीं में से एक है ब्रह्म कमल… आज हम आपको ऐसे अदभुत, आलौकिक, भव्य और दिव्य पुष्प के बारे में बताएँगे जिसे स्वयं देवों के देव ब्रह्मा जी ने उत्पन्न किया था। इसीलिए इसका नाम पड़ा “ब्रह्मकमल” इस फूल को ब्रह्मा जी ने इसलिए उत्पन्न किया, क्योंकि जब भगवान शिव ने गणेश जी के सिर को धड़ से अलग कर दिया था। तब पुनः भगवान शिव जी को गणेश जी के धड़ पर हाथी का मुख लगाना था, इसके लिए अमृत की आवश्यकता थी। इसी समय ब्रह्मा जी ने ब्रह्मकमल को उत्पन्न किया और इस ब्रह्मकमल फूल से अमृत उत्पन्न हुआ था। इसी अमृत से श्री गणेश को पुनः जीवित किया गया था, इसी कारण इसे ब्रह्मकमल भी कहा जाता है। ख़ास बात ये भी है कि ब्रह्मकमल 14 सालों में एक बार रात में खिलता है तो चलिए आपको और भी दिलचस्प जानकारी देते हैं।
दर्शन मात्र से सभी कष्टों से मिलती है मुक्ति
ब्रह्म कमल को भगवान ब्रह्मा का रूप माना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने ब्रह्म कमल से जल छिड़ककर भगवान गणेश को पुनर्जीवित किया था। इसलिए इस पुष्प को जीवनदायी माना जाता है। इस ब्रह्मकमल के दर्शन मात्र से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। ब्रह्मकमल भारत के उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल कश्मीर में पाया जाता है।उत्तराखंड में यह गंगोत्री घाटी के उच्च हिमालय क्षेत्र खासकर बुग्यालों, पिण्डारी, चिफला, रूपकुंड, हेमकुंड, ब्रजगंगा, फूलों की घाटी केदारनाथ आदि दुर्गम स्थानों पर बहुतायत में मिलता है।
रात में खिलता है ये पुष्प
ब्रह्म कमल का वैज्ञानिक नाम सौसुरिया ओबवल्लाटा है। ब्रह्म कमल का पौधा आमतौर पर मानसून के मौसम में खिलता है, जो कि जुलाई और सितंबर के बीच होता है। इस फूल को लेकर एक मान्यता ये भी है कि हिमालय की वादियों में 14 सालों में ब्रह्म कमल एक बार खिलता है। यह फूल तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर सिर्फ रात में खिलता है। सुबह होते ही इसका फूल बंद हो जाता है। इस ब्रह्म कमल को जो जब चाहे तोड़ कर ले, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। इसे नन्दाष्टमी के समय में तोड़ा जाता है और इसके तोड़ने के भी सख्त नियम होते हैं, जिनका पालन किया जाना अनिवार्य होता है। इसका जीवन 5-6 माह का होता है।
आपको बताते चलें कि “ब्रह्मकमल” का फूल उत्तराखंड का “राज्य पुष्प” भी हैं। ब्रह्मकमल उच्च हिमालय के बेहद ठंडे इलाकों ब्रह्मकमल हिमालय के गंगोत्री घाटी में स्थित बहुतायत बुग्याल क्षेत्रों में बद्रीनाथ, केदारनाथ के साथ ही फूलों की घाटी, हेमकुंड साहिब, वासुकी ताल, वेदनी बुग्याल, मद्महेश्वर, रूप कुंड, तुंगनाथ में मिलता है। ब्रह्मकमल अति सुंदर, सुगंधित और दिव्य फूल कहा जाता है।ऐसी मान्यता है कि घर में भी ब्रह्मकमल रखने से कई दोष दूर होते हैं। स्थानीय लोग ब्रह्मकमल को अपने आराध्य देवों को अर्पित कर पुण्य की कामना करते है। तो आप भी अगर हिमालय की तरफ जाएं तो इस अद्भुत पुष्प की कहानी याद रखियेगा।