पूर्वजों की आरती के बिना अधूरे हैं पितृ पक्ष के अनुष्ठान :- पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो गया है जिसमें पितरों की शांति के लिए श्राद्ध तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के सभी अनुष्ठान पूर्वजों की आरती के बिना अधूरे रहते हैं। ऐसे में पितरों की आरती जरूर करें।
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पितृ पक्ष, जो 7 सितंबर से शुरू हो गया है, एक ऐसा समय है जब हम अपने पितरों को याद करते हैं। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं, ताकि हमारे पितरों को शांति मिले। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन अनुष्ठानों के बाद भी कुछ अधूरा सा रह जाता है? दरअसल, पितृ पक्ष के सभी अनुष्ठान पूर्वजों की आरती के बिना अधूरे माने जाते हैं।आरती न केवल पूजा-पाठ को पूर्ण करती है, बल्कि इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है, तो आइए फिर यहां पर पितरों की आरती पढ़ते हैं।
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पितृ देव की आरती
जय जय पितर जी महाराज
मैं शरण पड़ा तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रख लेना लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
आप ही रक्षक आप ही दाता,
आप ही खेवनहारे,
मैं मूरख हूं कछु नहिं जानू,
आप ही हो रखवारे,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,
करने मेरी रखवारी,
हम सब जन हैं शरण आपकी,
है ये अरज गुजारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
देश और परदेश सब जगह,
आप ही करो सहाई,
काम पड़े पर नाम आपके,
लगे बहुत सुखदाई,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
भक्त सभी हैं शरण आपकी,
अपने सहित परिवार,
रक्षा करो आप ही सबकी,
रहूं मैं बारम्बार,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा हू तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रखियो लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
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