मात्र भगवान के दर्शन से ही कई जन्मों के पापों का प्रभाव नष्ट हो जाता है। इसी वजह से घर में भी देवी-देवताओं की मूर्तियां रखने की परंपरा है।
घर में छोटा मंदिर होता है और उस मंदिर में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं रखी जाती हैं। पिछले कुछ वर्षों से वास्तुशास्त्र के प्रति लोगों का आकर्षण बहुत बढा है।
पूजा का स्थान भवन के ईशान कोण में होना चाहिए। यदि किसी घर में पूजा का स्थान ईशान कोण में न हो और परिवार में रहने वालों के साथ कोई परेशानी हो तो उनके मस्तिष्क में एक ही बात उठती है कि परिवार की समस्या का कारण पूजा के स्थान का गलत जगह पर होना है।
ज्यादातर वास्तुशास्त्री पूजा घर को भवन के उश्रर व पूर्व दिशाओं के मध्य भाग ईशान कोण में स्थानान्तरित करने की सलाह देते है और जरूरत प़डने पर बहुत तो़ड-फो़ड भी कराते हैं।
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यह सही है कि ईशान कोण में पूजा का स्थान होना अत्यंत शुभ होता है क्योंकि ईशान कोण का स्वामी ग्रह गुरू है।
यहां घर की किस दिशा में पूजा के स्थान का क्या प्रभाव प़डता है, ईशान कोण में पूजा का स्थान होने से परिवार के सदस्य सात्विक विचारों के होते हैं। उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और उनकी आयु बढ़ती है।