उत्तराखण्ड

 हल्द्वानी में रेलवे की भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों को उच्च न्यायालय से भी नहीं मिली कोई राहत:

अदालत ने पुनर्वास मामले पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है, अदालत ने स्पष्ट कहा है कि पहले अतिक्रमण कारी भूमि खाली करें उसके बाद पुनर्वास की बात सुनी जाएगी।

अदालत ने 1 सप्ताह में नोटिस जारी कर अतिक्रमण को ध्वस्त करने व जरूरी पड़ने पर आवश्यक बल प्रयोग के आदेश भी दिए थे।

इसी बीच एक अतिक्रमण कारी मुस्तफा हुसैन की ओर से अदालत में प्रार्थना पत्र देकर अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास की मांग की गई थी।

अदालत ने इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई की याचिकाकर्ता की ओर से मांग की गई कि अतिक्रमणकारियों को हटाने से पहले उनका पुनर्वास किया जाए।

अदालत ने कहा है कि अतिक्रमण कारी पहले भूमि खाली करें उसके बाद पुनर्वास की बात सुनी जाएगी।

अतिक्रमणकारियों ने भूमि खाली करने को लेकर कोई सहमति नहीं दिखाई है ,अदालत ने भी इस मामले में सुनवाई की और ना ही कोई आदेश पारित किया है।

हाईकोर्ट ने इस से 6 साल पहले भी रविशंकर जोशी की ही ओर से दायर जनहित याचिका पर 9 नवंबर 2016 को आदेश जारी कर 10 हफ्ते में रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे।

अदालत ने एक बार फिर अतिक्रमणकारियों को अदालत में अपना दावा प्रस्तुत करने को कहा था करीब 4365 में से लगभग तीन दर्जन अतिक्रमण कारी अदालत पहुंचे और अदालत में सबूतों के अभाव में 20 दिसंबर 2022 को उनका दावा भी खारिज कर दिया।

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