उत्तराखंड : भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तराखण्ड को एक बार फिर चौकाया है। जी हाँ ,चौंकाने के लिए मशहूर भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के एक और फैसले से उत्तराखंड भाजपा सरप्राइज है।
पार्टी ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया है।
राज्यसभा सांसद रहे अनिल बलूनी का छह साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद राज्यसभा की सीट खाली हो गई थी। इस सीट पर 27 फरवरी को चुनाव होना है।
लोकसभा चुनाव से पहले महेंद्र भट्ट को उम्मीदवार बनाए जाने के सियासी मायने हैं।
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भट्ट ब्राह्मण चेहरा हैं और भाजपा केंद्रीय नेतृत्व का उन्हें राज्यसभा में भेजे जाने के फैसले को जातीय समीकरणों में संतुलन साधने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।
जब तक भाजपा नेतृत्व ने राज्यसभा का टिकट तय नहीं किया था, तब संभावना अनिल बलूनी को रिपीट किए जाने की भी मानी जा रही थी।
केंद्रीय संगठन में बलूनी लंबे समय से राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
अब उन्हें भी पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट का एक दावेदार माना जा रहा है।
सियासी जानकारों का मानना है कि ऐसी अटकलों के बीच महेंद्र भट्ट को प्रत्याशी बनाकर पार्टी ने अपने कैडर को सम्मान दिए जाने का संदेश देने की कोशिश की है।
साथ ही प्रदेश कैबिनेट में प्रतिनिधित्व से वंचित चमोली जिले को राज्यसभा में प्रतिनिधित्व दिलाकर लंबे समय से चली आ रही कसक को दूर करने का प्रयास किया है।
राज्यसभा सदस्य का चुनाव विधायक करते हैं। उत्तराखंड विधानसभा में भाजपा के 47 विधायक हैं। 19 विधायक कांग्रेस के हैं। दो निर्दलीय और बीएसपी का एक विधायक हैं, एक का निधन हो चुका है।
वोटों के गणित के हिसाब महेंद्र भट्ट का राज्यसभा जाना तय है।
महेंद्र भट्ट को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाए जाने के बाद सियासी हलकों में यह चर्चा भी गरमा गई है कि उनके निर्वाचित होने के बाद प्रदेश पार्टी का नया कप्तान बनाया जाएगा।
पार्टी से जुड़े सूत्र व नाम न बताने की शर्त पर बड़े नेताओं का मानना है कि इसकी संभावनाएं न के बराबर है।
पार्टी में कई राज्यसभा सदस्य हैं जिनके पास संगठन की भी जिम्मेदारी है।
उत्तराखंड भाजपा के प्रभारी दुष्यंत गौतम और भाजपा के राष्ट्रीय सह कोषाध्यक्ष नरेश बंसल राज्यसभा के सदस्य हैं।