उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का कैडर बेदम हो चुका था। ऑल वेदर रोड, ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन, जल जीवन मिशन समेत केंद्र की तमाम योजनाओं के बावजूद जनता में जोश गायब था।
जनता के इसी मूड को केंद्रीय नेतृत्व ने समय रहते भांप लिया।
सीएम के रूप में मौका पहले तीरथ सिंह रावत को दिया, लेकिन उन्हें तत्काल बदल केंद्र ने युवा नेतृत्व के रूप में पुष्कर सिंह धामी को जुलाई 2021 में मौका दिया।
सीएम के रूप में पुष्कर सिंह धामी ने भी सबसे पहले उत्तराखंड को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी के विजन को उत्तराखंड के जन जन तक पहुंचाया। कार्यकर्ताओं, पार्टी कैडर में जोश भरा।
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महज छह महीने के भीतर पूरे उत्तराखंड के गांव गांव को एक सिरे से नाप दिया।
पार्टी के ही तमाम बड़े नेता जहां भाजपा की सीटों का आंकड़ा बामुश्किल दहाई के अंक तक पहुंचने के दावे कर रहे थे, उन्हीं दावों को खारिज करते हुए पीएम मोदी और सीएम पुष्कर धामी की जोड़ी ने प्रचंड जीत दिलाई।
अब हिमाचल के नतीजों को देख कर केंद्रीय नेतृत्व को समझ आ गया है कि यदि जुलाई 2021 में पीएम नरेंद्र मोदी उत्तराखंड में सीएम के रूप में पुष्कर का चुनाव न करते, तो उत्तराखंड में भी हिमाचल जैसे हालात तय थे।
क्योंकि उत्तराखंड में हालात हिमाचल से अधिक विकट थे। लगातार एक के बाद एक सीएम बदलने से जनता के मन में उपजे अविश्वास को विश्वास में बदलने की एक बड़ी चुनौती थी।
इस चुनौती से सीएम पुष्कर धामी ने मोदी मंत्र के जरिए पार पाने में सफलता हासिल की।
जुलाई 2021 से लेकर मतदान होने तक सीएम पुष्कर धामी ने 70 विधानसभाओं को कई कई बार नापा।
पूरे राज्य में भाजपा का माहौल बनाने और कमजोर सीटों को जीत में बदलने के लिए वे अपनी खटीमा विधानसभा सीट को भी अधिक समय नहीं दे पाए।
दूसरी ओर खटीमा सीट पर पार्टी के ही कई दिग्गज एक के बाद एक नया षड़यंत्र रचते रहे। नेताओं का फोकस खटीमा में भाजपा को जिताने से अधिक हराने पर रहा।
पार्टी संगठन के तमाम बड़े दिग्गज, कैबिनेट मंत्री अपनी सीटों से बाहर ही निकल पाए। बड़े नेताओं ने प्रदेश में भ्रमण करना तो दूर अपनी बगल की सीटों तक पर झांकने की जहमत नहीं उठाई।
उत्तराखंड की इस अंदरुनी हकीकत से पीएम नरेंद्र मोदी भली भांति वाकिफ रहे। यही वजह है, जो चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद सीएम के रूप में पीएम मोदी की पहली पसंद सीएम पुष्कर सिंह धामी ही रहे।
पीएमओ के इंटेलीजेंस को पूरी खबर थी कि जिस चुनाव को उत्तराखंड के भाजपा नेता हारा हुआ मान कर चल रहे थे, उसकी जीत के असल नायक पुष्कर ही हैं।
पुष्कर ही रहे, जिन्होंने पीएम मोदी के विकास मंत्र को उत्तराखंड के जन जन तक पहुंचाया।
अब हिमाचल के नतीजों ने भी साफ कर दिया है कि उत्तराखंड में भाजपा की प्रचंड जीत ऐसे ही नहीं मिली।
ऐसे में अब उत्तराखंड में सीएम पुष्कर धामी की राह में कांटे बिछाने वालों के लिए समय आसान नहीं रहने वाला है।
मोदी द्वारा दिए गए दो मंत्र मेहनत और ईमानदारी को धरातल पर उतारने में धामी कामयाब रहे।
इसी वजह से प्रधानमंत्री ने अपने केदारनाथ और बद्रीनाथ के दौरे पर धामी के काम काज की तारीफ भी की।