प्यारी किन्नर उरूज़ के हौसले की कहानी : आज हम आपको बता रहे है प्यारी उरूज के हौसले से भरी सच्ची कहानी , नोएडा में स्ट्रीट टेम्पटेशन नाम का एक रेस्त्रां चला रही उरूज एक एंटरप्रन्योर के साथ साथ सोशल वर्कर भी है लेकिन एक और सच है कि वो एक ट्रांसवुमन हैं। जी हा आज भी लोगों की नजर मे उनकी तस्वीर कुछ इस तरह की बन गई है कि उन्हें बहादुर उरूज सिर्फ एक किन्नर के तौर पर ही नजर आती हैं।आज भी लोगों को लगता है कि किन्नर या तो ताली बजाकर भीख मांगते हैं या सेक्स वर्कर्स होते हैं। लेकिन, असलियत इससे काफी अलग है।
ये उरूज को देख कर समझा जा सकता है जो खुद पर गर्व करती है कि उन्होने समाज के बनाए स्टीरियोटाइप तोड़ कर, खुद के दम पर अपना रेस्त्रां चला रहीं है ।आपको यहा अब ये भी बताना जरूरी है कि उरूज ने भी एक सामान्य बच्चे की तरह जन्म लिया था। धीरे-धीरे उन्हे एहसास होने लगा कि उनका शरीर ही सिर्फ लड़कों जैसा है, लेकिन उनकी फीलिंग्स एक औरत जैसी हैं। इसी वजह से उनको परिवार और समाज में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। उनके दोस्त और फैमिली चाहती थी कि वो एक लड़के की तरह बर्ताव करे लेकिन कोशिशो के बाद भी ऐसा नहीं हो पाया।
उरूज के बचपन में क्लास में भी लड़के उनका मजाक बनाते और परेशान करते लेकिन उन्होने हार नहीं मानी। स्कूल के बाद उरूज ने होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया और 2013 मे मैं दिल्ली आ गई। यहां एक इंटर्नशिप के दाैरान वर्कप्लेस पर भी उन्होने बहुत बुरा बर्ताव झेला क्योंकि लोग उन्हे गलत तरीके से छूने की कोशिश करते थे, और परेशान करते थे। 22 साल तक उनकी ये पहचान दुनिया की नजर में एक लड़का का था , लेकिन दिल ही दिल वो हमेशा कंफ्यूज रहती थी कि वो आखिर क्या चाहती थी इसके बाद साल 2014 में इन्होने साइकोमैट्रिक टेस्ट कराने के बाद लेजर थेरेपी ट्रीटमेंट कराना शुरू किया। और आज वो अपनी खूबसूरत बॉडी से बेहद खुश है ।
उरूज बताती हैं कि 2014 से 2015 के बीच उनका हार्मोन ट्रांसफॉर्मेशनल पीरियड था। इसके बाद 2015 से 2017 तक उन्होने दिल्ली में ही एक फीमेल के तौर पर ललित होटल में काम किया। हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट का कोर्स करने की वजह से इंटर्नशिप को दौरान ही तय कर लिया था कि कुछ अपना ही काम करना है इसीलिये 22 नवंबर 2019 को उरूज ने नोएडा में एक रेस्त्रां की शुरुआत की। रेस्त्रां शुरू करने के पीछे उनका मकसद था कि इससे सभी ट्रांसजेंडर्स को खुद के दम पर कुछ करने की प्रेरणा मिलेगी।
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हालकि एक ट्रांसवुमन होने की वजह से रेस्त्रां शुरू करने में काफी परेशान होना पड़ा क्योंकि ट्रांसजेंडर की वजह से कोई शॉप देने को तैयार नहीं था , उरूज की परेशानियां यहीं खत्म नहीं हुईं। रेस्त्रां शुरू होने के 4 महीने बाद ही लॉकडाउन लग गया लेकिन आज उरूज की ख्वाहिश है कि हर शहर में उनका रेस्त्रां हों और उसे ट्रांसजेंडर्स ही चलाएं। क्योंकि वो यही चाहती हूं कि ट्रांसजेंडर्स भी मेनस्ट्रीम में आएं। वे अपना बिजनेस करें, खुद को स्टेबिलिश करें। तो आप भी हौसले की इस कहानी से लीजिये सबक और कीजिये समाज के हर वर्ग का बराबरी से सम्मान