बिहार में इन दिनों राजनीतिक गलियारों में कयासों का बाजार गर्म है। दरअसल तेजस्वी यादव के घर पर इफ्तार पार्टी में शामिल होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। जेडीयू का साथ छोड़ने के बाद पांच साल में पहली बार नीतीश कुमार 10 सर्कुलर रोड पहुंचे थे। चर्चा यह भी है कि बिहार में सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली भाजपा अब अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहती है।
लालू परिवार के साथ इफ्तार पार्टी में शामिल होने के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि राजनीति और इफ्तार को मिलाकर नहीं देखना चाहिए। इसके बाद वह गृह मंत्री अमित शाह को रिसीव करने पटना एयरपोर्ट चले गए। इसपर भी कुछ लोगों को ऐतराज हुआ। उनका कहना था कि प्रोटोकॉल के मुताबिक इसकी कोई जरूरत नहीं थी।
अगले चुनाव तक सीएम रहेंगे नीतीशः भाजपा
जेडीयू प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि नीतीश कुमार कभी भी तेजस्वी के नेतृत्व में काम करना पसंद नहीं करेंगे। बिहार भाजपा चीफ संजय जैसवाल ने कहा कि 2025 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव तक नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री रहेंगे। नीतीश कुमार के दोस्त और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने भी यही कहा कि नीतीश के बारे में इस तरह की चर्चा केवल विपक्ष का प्रोपेगैंडा है।
6 दिन में दो बार तेजस्वी से मिले नीतीश
चर्चा तब और गरम हो गई जब 6 दिन के ही भीतर दो बार नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की मुलाकात हुई। इस दिन उम्मीद थी कि लालू प्रसाद यादव जेल से बाहर आएंगे। हालांकि उन्हें जमानत नहीं मिल पाई। बता दें कि नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी के पुराने आलोचक रहे हैं। बीता समय देखें तो नीतीश कुमार ने कई बाल सत्ता के लिए साथ बदले हैं।
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सत्ता के लिए कई बार पाला बदल चुके हैं नीतीश
बिहार में भाजपा के साथ सरकार बनाने के बाद नीतीश कुमार ने एडीए छोड़कर आरजेडी का साथ पकड़ लिया था। वहीं आरजेडी के साथ भी सरकार बनाने के बाद वह भाजपा की ओर चले गए और एनडीए में वापस चले गए।
क्या दिल्ली की ओर देख रहे नीतीश?
सवाल ये भी हैं कि क्या नीतीश कुमार अब दिल्ली की ओर देख रहे हैं। चर्चा है कि 15 साल तक बिहार के मुख्यमंत्री रहने के बाद अब वह उपराष्ट्रपति या राष्ट्रपति का पद चाहते हैं। कुछ ही महीने में चुनाव भी होने वाले हैं। जैसा कि बिहार में भाजपा चीफ ने कहा कि 2025 तक नीतीश ही मुख्यमंत्री रहेंगे. इससे एक बात और स्पष्ट है कि अगली बार अगर एनडीए की जीत भी हुई तो भी नीतीश मुख्यमंत्री नहीं होंगे।
भाजपा को यह भी अंदाजा है कि बिना नीतीश के चेहरे के चुनाव लड़ने से नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार को दिल्ली में बड़ा पद दिया जा रहा है और इफ्तार पार्टी में शामिल होना इसी योजना का हिस्सा है।