इस गिरफ्तारी के बाद, विवेचना (investigation) में यह जानकारी सामने आई है कि आरोपी मक्खन सिंह ने दूसरे व्यक्तियों के साथ मिलकर जमीन के फर्जी दस्तावेज बनाएं और वास्तविक पत्रावलियों को गायब कर फर्जी पत्रावलियों को उनकी जगह लगा दिया था।
मक्खन सिंह के साथ इस गिरफ्तारी के पीछे उनके अन्य साथी भूमाफिया भी शामिल थे जो करोड़ों की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे थे।
यह गिरफ्तारी राजस्व अभिलेखागार के एक रिकॉर्ड गायब होने के मामले से जुड़ी थी, जिसमें ऋषिकेश तहसील में पड़ते रैनापुर ग्रांट में सीलिंग की 70 बीघा से अधिक जमीन की फाइल गायब थी।
इसमें अभिलेखागार के कार्मिक देवेंद्र सुंदरियाल नामक अधिकारी की तहरीर पर शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया था और उसकी जांच शुरू की गई थी।
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इस मामले में आरोपी ने जमीन प्रेमलाल से खरीदी हुई दिखाई, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और उन्हें कोर्ट में पेश किया गया था।
पुलिस ने आरोपी के साथ और अन्य संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ भी जांच करने की योजना बनाई है ताकि इस गिरफ्तारी के माध्यम से भूमाफिया जाल का खुलासा किया जा सके।
इस मामले में रजिस्ट्रार कार्यालय में भी फर्जीवाड़े की जांच चल रही है, जिसमें रजिस्ट्रियों के साथ छेड़छाड़ के मामले की भी समीक्षा हो रही है।
सहायक महानिरीक्षक निबंधन के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसमें भूमाफिया सहित रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात अधिकारी और कर्मचारी भी शामिल हैं।
यह विवेचना उत्तराखंड पुलिस द्वारा गठित गिरफ्तारी के बाद अन्य निबंधक व निबंधक लिपिकों की जांच में जुटी हुई है।
इस बदनाम भूमाफिया नेटवर्क के सदस्यों द्वारा रजिस्ट्रियों/भूमि अभिलेखों में फर्जीवाड़ा करने का आरोप है।
उन्होंने रिकॉर्ड में हेरफेर कर स्वामित्व बदल डाले और मूल रिकॉर्ड तक गायब कर दिए गए।
जांच के मुताबिक, फर्जी रजिस्ट्रियों में उनके हस्ताक्षर, स्याही, मुहर और पेज में भिन्नता पाई गई है।
यह गिरफ्तारी और जांच के जरिए, उत्तराखंड पुलिस भूमाफिया और रजिस्ट्रार कार्यालय में फर्जीवाड़े करने वाले आरोपियों को निगलने के लिए संघर्ष कर रही है।
इससे न सिर्फ भूमाफिया जाल को खुलासा हो सकता है बल्कि समाज को भी एक चेतावनी मिल सकती है कि वे अपनी संपत्ति और प्रॉपर्टी के मामले में सतर्क रहें और धोखाधड़ी से बचें।
देहरादून में रजिस्ट्रार कार्यालय में फर्जीवाड़े के मामले की जांच चल रही है। इस जांच के तहत रजिस्ट्रियों के साथ छेड़छाड़ के मामले को देखा जा रहा है, जिसमें शहर कोतवाली में सहायक महानिरीक्षक निबंधन की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
भूमाफिया सहित रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी जांच चल रही है।
उत्तराखंड पुलिस के गठन के बाद से अब तक उप निबंधक कार्यालय प्रथम और द्वितीय में कार्यरत उप निबंधक और निबंधक लिपिकों की जांच भी शुरू हो गई है।
यहां भूमाफिया ने अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर रजिस्ट्रियों और भूमि अभिलेखों में फर्जीवाड़ा किया है।
उन्होंने रिकार्ड में हेरफेर करके स्वामित्व को बदल डाला और मूल रिकार्ड तक गायब कर दिया।
जांच के मुताबिक, फर्जी रजिस्ट्रियों में लिखावट, स्याही, मुहर और पेज में भिन्नता पाई गई है।
यह गंभीर मामला है जो देहरादून के रजिस्ट्रार कार्यालय को संवेदनशील बना रहा है।
फर्जी रजिस्ट्रियों का पता चलना, भूमाफिया के साथ मिलकर अधिकारियों और कर्मचारियों की विश्वासघाती कार्रवाई को उजागर करता है। ऐसे गंभीर अपराधों को देखकर लोगों की आंतरिक सुरक्षा को लेकर सवाल उठते हैं।
यह मामला पुलिस और संबंधित अधिकारियों के लिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इससे उनकी पेशेवर और व्यक्तिगत इमेज पर असर पड़ सकता है।
इसलिए, सरकारी विभागों को सतर्क रहना और भूमाफिया के साथ मिलकर अपराध को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।
इस मामले की गहराई की जांच करने के लिए न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ करने की आवश्यकता है ताकि दोषियों को सजा मिले और नियंत्रण में आए।
इससे सिर्फ देहरादून के रजिस्ट्रार कार्यालय ही नहीं, बल्कि पूरे राज्य के रजिस्ट्रेशन सिस्टम को भी सुधारा जा सकता है।
फर्जीवाड़े और भूमाफिया के साथ मिलकर गैंगरेपिस्ट अपराधों को कामयाबी से संपादने का प्रयास करने वाले लोगों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
इससे समाज के आम नागरिकों में सरकार और पुलिस के प्रति भरोसा बढ़ेगा और सुरक्षित माहौल बनेगा।
सरकार को इस मुद्दे को सीरियसली लेने की जिम्मेदारी है और सुरक्षा एजेंसियों को इसमें सख्ती से जांच करनी चाहिए।
भ्रष्टाचार और अपराधों के खिलाफ लड़ाई में सभी लोगों को साथ मिलकर योगदान देना होगा ताकि भारत एक न्यायप्रिय और सुरक्षित राष्ट्र बने।