देहरादून बीज घोटाले ने राज्य सरकार को बड़े शरमसार कर दिया है। इस घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए अब आईएएस अफसरों ने अपने कंपेटेंसी को प्रस्तुत किया है और इस मामले की गंभीर जांच के लिए तैयार हैं।
इस घपले का उजागर होना उत्तराखंड की सियासी और प्रशासनिक परिदृश्य को हिला डाला है।
राज्य बीज एवं आर्गनिक उत्पाद प्रमाणीकरण संस्था के टैग घपले के बारे में चल रही जांच में देहरादून सचिवालय से गायब होने की घटना ने मामले की गंभीरता को और भी बढ़ा दिया है।
इस मामले में आईएएस अफसर रणवीर सिंह चैहान के नेतृत्व में शुरू की जा रही जांच का उद्घाटन करने के लिए तैयारियों में तेजी है।
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बतौर जांचाधिकारी, उन्होंने अपनी टीम के साथ इस मामले की विशेष जांच करने का आलंब दिया है, जिससे कि इस घोटाले के पीछे छिपे हुए आर्थिक अन्धकार को प्रकाश मिल सके।
कृषि सचिव दीपेंद्र कुमार चौधरी ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जरूरत की घोषणा की है और उन्होंने इसके लिए एक चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।
इस कमेटी में संयुक्त सचिव गरिमा, अनुसचिव नरेंद्र सिंह रावत, और अनुभाग अधिकारी हरीश सिंह रावत शामिल हैं, जिन्हें इस मामले की गंभीर जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
साल 2014 में सामने आए इस घपले में एसआईटी जांच की गई थी सिफारिश, जिसके बावजूद इसकी सचिवालय से गायब हो गई थी फाइल।
इस मामले के पीछे चुपके से छिपे हुए करीब 20 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश होने से राज्य सरकार की विश्वासास्तर को बहुत बड़ा धकेल लगा है।
इस घोटाले के संदर्भ में दी जाने वाली ताजगी जानकारी के अनुसार, आईएएस अफसरों द्वारा नेतृत्व किए जाने वाले इस जांच प्रक्रिया में राज्य सरकार की बड़ी आवश्यकताएँ हैं।
इसके अलावा, इस मामले के संदर्भ में यह दर्शाने का प्रयास किया जा रहा है कि उत्तराखंड की प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है ताकि अब किसी भी तरह की भ्रष्टाचार और घोटाले को रोका जा सके।
उत्तराखंड के बीज घोटाले मामले की जांच में आईएएस अफसरों की नेतृत्व में तैयार हो रही कमेटी ने गहरे अंधकार को दरकिनार करने का आलंब दिया है।
यह मामला 20 करोड़ रुपये के घोटाले के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है और उत्तराखंड की प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार की मांग को उजागर करता है।