उत्तराखंड में किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच विवादों का समाधान में अब एक नया मोड़ ।
जानकारी के अनुसार, राज्य में किराया संबंधी मामलों के निपटारे को डीएम के स्तर से किराया अधिकरण गठित करने का प्रावधान किया जा रहा हैं।
इस मामले का मुख्य उद्देश्य हैं कि किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच विवादों को तेजी से और न्यायपूर्ण तरीके से समाधान करना है।
यह नई व्यवस्था किरायेदारों को उनके अधिकार की सुनिश्चितता देती है और मकान मालिकों को भी उनके दायरे का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना हैं।
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इस हिसाब से हर तहसील में प्रथम श्रेणी सहायक कलक्टर प्रथम श्रेणी को किराया प्राधिकारी के रूप में नियुक्त किया जा रहा है।
इन प्राधिकारियों का काम किरायेदारों के साथ मकान मालिकों के बीच होने वाले विवादों का समाधान करना होगा।
जिला स्तर पर एडीएम को किराया न्यायालय के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया जा रहा हैं।
इन न्यायाधिकरणों की जिम्मेदारी भी किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच होने वाले विवादों को सुनना और उन्हें न्यायपूर्ण निर्णय देना होगा।
किराया प्राधिकारी जो भी आदेश देगा, उसके खिलाफ राज्यस्तरीय किराया न्यायालय में 30 दिन के भीतर अपील की जा सकेगी।
यह सुनिश्चित करेगा कि विवादों का निपटारा न्यायिक तरीके से किया जाता है और किरायेदारों और मकान मालिकों के लिए एक न्यायिक व्यवस्था होती है।
इस नये व्यवस्था के तहत किरायेदारों को अपने हकों की सुरक्षा और सुनिश्चितता मिलेगी।
अब किराया संबंधी विवादों को तेजी से और आसानी से समाधान कर सकेंगे।
मकान मालिकों को भी यह समझना होगा कि वे अपने किरायेदारों के साथ न्यायिक रूप से व्यवहार करें और उनके हकों का पालन करें।
मकान मालिकों की ये जिम्मेदारी, संरचनात्मक मरम्मत, पुताई व दरवाजों-खिड़कियों की पेंटिंग, आवश्यकता पर नल के पाइप बदलना व मरम्मत, बाह्य व आंतरिक इलेक्ट्रिक वायरिंग बदलना।
किराया संबंधी विवादों का समाधान तेजी से होगा और समाज के हर वर्ग के लोगों के लिए न्यायपूर्ण होगा।
यह नया व्यवस्था किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच समाज की खुशहाली और सुरक्षा को बढ़ावा देगा।