भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बड़ी बढ़ोत्तरी की है। रेपो रेट अब 4.90 से बढ़कर 5.40 फीसदी पर पहुंच गया है। शुक्रवार को खत्म हुई अपनी बाय-मंथली बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भारत की मौजूदा आर्थिक स्थिति पर रिपोर्ट पेश की। उन्होंने बताया कि सप्लाई चेन प्रभावित होने और जरूरी सामान की आसमान छूती कीमत ने ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के लिए मजबूर किया है।
रिजर्व बैंक ने रेपो दरों में आज लगातार तीसरी बार बढ़ोतरी की है, इससे पहले जून 2022 को, RBI ने रेपो रेट को 40 आधार अंक बढ़ाकर 4.90% कर दिया था, जबकि इससे पहले 4 मई 2022 को, आरबीआई ने पॉलिसी रेपो रेट को 40 आधार अंक बढ़ाकर 4.40% करके सबको चौंका दिया था। तब स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर को 4.15% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट और बैंक रेट को 4.65% पर एडजस्ट किया था।
महंगाई और मंदी को लेकर चिंता
रिजर्व बैंक गवर्नर ने अपने संबोधन में दुनिया भर में बढ़ती महंगाई और मंदी को लेकर चिंता जताई हैं। उन्होने कहा की उभरती हुई अर्थव्यवस्था कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रही हैं जिसमें कमजोर घरेलू करेंसी और विदेशी फंड का बाहर निकलना और घटता विदेशी मुद्रा भंडार शामिल है। गवर्नर के मुताबिक भारत भी ऐसी चुनौतियां का सामना कर रहा है। हालांकि उन्होने कहा कि हालांकि आने वाले समय में भारत के लिए स्थितियां बेहतर होंगी और और महंगाई भी नीचे आएगी। गवर्नर शक्तिकांत दास के मुकाबले अर्थव्यवस्था से जुड़े कई संकेतक बेहतर संकेत दे रहे हैं। फिलहाल विदेशी मुद्रा भंडार और सिस्टम में लिक्विडिटी की स्थिति मजबूत है।
RBI गवर्नर ने क्या कहा
- FY23 रियल GDP ग्रोथ 7.2% पर बरकरार
- करेंट अकाउंट डेफिसिट चिंता की बात नहीं
- भारतीय अर्थव्यवस्था पर महंगाई का असर
- ग्लोबर स्तर पर महंगाई चिंता का विषय
- MSF 5.15% से बढ़ाकर 5.65% की
- MPC बैठक में अकोमोडेटिव रुख वापस लेने पर फोकस
- अप्रैल के मुकाबले महंगाई में कमी आई
- शहरी मांग में सुधार देखने को मिल रहा है
- बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ में सालाना 14% की बढ़ोतरी
- बेहतर मानसून से ग्रामीण मांग में बढ़ोतरी संभव