पार्थो सिल……. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में दिनांक 10 जुलाई 2021 को बढ़ती महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी, महिलाओं के साथ हो रही बलात्कार की घटनाओं, किसानों की समस्याओं तथा हरिद्वार कुम्भ में हुए आर.टी.पी.सी.आर. टेस्ट महा घोटाले के मुद्दे को लेकर’मुख्यमंत्री आवास कूच’ कार्यक्रम की तैयारी के साथ उत्तराखंड कांग्रेस अपना विरोध और प्रदर्शन दर्ज करेगी।गंभीरता से सोचने वाला विषय ये है कि उत्तराखंड कांग्रेस अब महज़ 4 सालो में सिर्फ पुतला दहन और मुख्यमंत्री आवास कूच एवं छपास वाली पार्टी बनकर रह गयी है।
विगत कई धरने प्रदर्शनों में सिर्फ गिने चुने ही 30 या 35 लोग नज़र आते है, वो भी कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व से लाल हुए महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा के नेतृत्व में । जिनको कांग्रेस भवन के बाहर ही पुतला फूंकने में महारत हासिल है। समाचार पत्रों और न्यूज़ पोर्टल व अन्य सामाजिक माध्यमो पर कई पुतला दहन कार्यक्रम और मुख्यमंत्री आवास कूच की फोटो देखने पर ये पता चलता है कि अब इस राज्य में कांग्रेस महज़ किराये की भीड़ और छपास रोगो की तरफ भटक गयी है। प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्वकर्ता में सिर्फ मुद्दा विहीन राजनीति और चाटुकारो ने अपना वर्चस्व बना लिया है। उनकी निगाह सिर्फ पार्टी के प्रत्यासी बन टिकट पाने में और नेतृत्व कर्ता को मुख्यमंत्री की कुर्सी का सपना दिखाने तक सीमित रह गयी है।
जो कांग्रेस राज्य गठन के बाद थी वो अब मूल मुद्दों से 4 सालो से परे है।
जब हमारे द्वारा उत्तराखंड कांग्रेस के सामाजिक माध्यम के महत्वकांक्षी पदाधिकारी से बात हुई तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस 17 साल बनाम 4 सालो में ज्यादा मजबूत हुई है।
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जब उनसे पूछा गया कि उत्तराखंड की 70 विधानसभाओ के नेताओ को और उनके मुद्दों को कांग्रेस के सामाजिक माध्यम प्लेटफॉर्म पर स्थान नही मिला तो 2022 के चुनावों में वो अपना स्थान पार्टी स्तर पर कहाँ पाएंगे?
सामाजिक माध्यम पदाधिकारी से जब ये भी पूछा गया कि सल्ट उप चुनाव में प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष द्वारा दिग्गज नेता हरीश रावत पर अभद्र टिप्पणी के मामले में प्रदेश नेतृत्व द्वारा अनुशासन हीनता की क्या कार्यवाही की गई ? तो वो बगले झांकने लगे। उन्होंने बोला कि वो किसी विवादों में फंसना नही चाहती है उनको तो सिर्फ अपनी विधानसभा से 2022 में टिकट से मतलब है। उनका जबाब सुनकर और सोच को समझ मैं स्तब्ध रह गया।
प्रियतम कांग्रेस के हर पदाधिकारी का यही हाल है उनको सिर्फ अपनी-अपनी विधानसभा से टिकट चाहिए। जमीनी मुद्दे और अनियंत्रित कार्यकर्ता एवम पार्टी अपने को कहाँ खड़ा पाती है!
अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष क्या सिर्फ कांग्रेस के स्तंभ रहे नेताओ को रसातल में पहुँचाने के लिए अध्यक्ष बने है या फिर अपने चाटुकारो को टिकट दिलाने के लिए?
वर्तमान में कांग्रेस सिर्फ मुद्दाविहीन होकर सिर्फ पुतला दहन और मुख्यमंत्री आवास कूच की पार्टी बन चुकी है। एक स्थापित बैरिकेडिंग पर 100 या 200 कार्यकर्ता लेकर पहुँचो, थोड़ा सुरक्षा कर्मियों से उलझने का ड्रामा करो और फ़ोटो खिंचवाकर सामाजिक माध्यम का बखूबी इस्तेमाल करो।
अब उत्तराखंड राज्य में कांग्रेस को सिर्फ चाटुकारो का ही सहारा है क्योंकि कांग्रेस के मुखिया को ये चंद छपासू चाटुकार बातोलो में ही मुख्यमंत्री बना चुके है।
कांग्रेस इस वक़्त के सबसे बुरे दौर से गुजर रही है और अगर वक़्त रहते पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने कोई सख्त कदम नही अख्तियार किया तो कांग्रेस कही हमेशा के लिए ही इस प्रदेश और देश से ना गुजर जाए।