पुलवामा में पाकिस्तान समर्थित जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर द्वारा सीआरपीएफ के काफिले को निशाना बनाकर किए गए हमले में सीआरपीएफ के करीब 40 जवान शहीद हो गए थे।
सीआरपीएफ के काफिले में 78 बसें थीं।
इस अटैक के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था।
इस काफिले में सीआरपीएफ के लगभग 2500 जवान जम्मू से श्रीनगर की यात्रा कर रहे थे।
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हालांकि भारत ने महज 12 दिनों में ही ‘नापाक’ पाक से बदला ले लिया।
भारत ने 26 फरवरी को बालाकोट एयरस्ट्राइक करके जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को ढेर कर दिया था।
आतंकी हमले के बाद जवानों को नजदीक के आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था, लेकिन मौके पर ही बड़ी संख्या में जवान शहीद हो गए थे।
इस घटना को अंजाम देने वाले हमलावर का नाम आदिल अहमद डार था।
इसके अलावा, हमले में सज्जाद भट्ट, मुदसिर अहमद खान आदि जैसे आतंकियों के भी हाथ थे, जिसे बाद में सेना ने मौत के घाट उतार दिया।
मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने की, जिसमें उसने साढ़े 13 हजार से अधिक पन्नों की चार्जशीट दाखिल की।
संयुक्त राष्ट्र और दुनियाभर के कई देशों ने पुलवामा आतंकी हमले की निंदा की थी और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को अपना समर्थन दिया था।
वहीं, जवानों के पार्थिव शरीर को वायुसेना के विशेष विमान द्वारा पालम वायुसेना इलाके में लाया गया था।
जहां तत्कालीन गृह मंत्री और वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई बड़े मंत्री मौजूद थे।
शहीदों के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी।