पुणे: ये खबर भारतीय किसानों (Farmers) को चिंता में डाल सकती है। मौसम की मार से बेहाल किसानों के लिए ये सीजन भी बहुत अच्छा होता नहीं दिख रहा। मौसम विज्ञान ने प्री-मानसून बारिश (Pre Monsoon Rain) को लेकर जो आंकड़े जारी किए हैं वे काफी चिंताजनक हैं। आईएमडी (IMD) की रिपोर्ट के अनुसार 1 मार्च से 25 अप्रैल तक देश के 20 राज्यों में प्री मानसून बारिश काफी कम दर्ज की गई है। इसकी वजह से इन राज्यों में पानी की दिक्कत हो सकती है जिससे खरीफ फसलों की सिंचाई प्रभावित हो सकती है। सब्जियों सहित गन्ना और कपास की फसल सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों ने कहा है कि कई नदी घाटियों में इस पूरे मौसम में बारिश नहीं हुई जबकि कई अन्य में काफी कम बारिश दर्ज की गई जिससे बांध के पानी के उपयोग पर अधिक दबाव पड़ सकता है। भारत में प्री-मानसून वर्षा भारत की वार्षिक वर्षा का लगभग 11% जोड़ती है।
बांध के जलस्तर पर पड़ेगा असर
आईएमडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने टीओआई को बताया, ‘यदि किसी नदी के बेसिन में कम या कोई वर्षा नहीं होती है तो ऐसे बेसिनों में जलाशयों पर विभिन्न आबादी की जरूरतों के लिए पानी उपलब्ध कराने का अधिक दबाव होगा। यह अंततः बांध के जल स्तर को प्रभावित करेगा।’ पुणे डिवीजन के जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता एचवी गुनाले ने कहा, मानसून से पहले की अच्छी बारिश के कारण फसल सिंचाई के लिए बांध के पानी की आवश्यकता कम हो सकती है, जैसा कि 2021 के प्री-मॉनसून अवधि में देखा गया था।
ऐसे में फलों और सब्जियों की सिंचाई के लिए पानी के श्रोतों में भी कमी आई है। अभी तक इन राज्यों में गर्मी से राहत नहीं मिली है। सब्जियों और फलों के दाम भी बढ़े हैं। खासकर ये मौसम और बारिश की कमी, गन्ना और कपास के लिए सिंचाई को प्रभावित कर सकती है, इसके अलावा कुछ हद तक पूर्व-खरीफ बुवाई गतिविधि को भी प्रभावित कर सकती है।
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हालांकि बांध का स्तर मुख्य रूप से प्री-मानसून वर्षा पर निर्भर नहीं करता है। अभी तक पुणे क्षेत्र के जलाशयों में जल स्तर पर्याप्त है। आईएमडी के पूर्व महानिदेशक एल एस राठौर ने कहा कि अच्छी प्री-मानसून बारिश पीने के पानी के स्रोतों पर तनाव को कम करती है। उन्होंने कहा कि भले ही ये बौछारें बांध के स्तर को महत्वपूर्ण रूप से पूरक नहीं करती हैं। लेकिन इस अवधि के दौरान समय पर बारिश से बागवानी, बगीचों और बगीचों में पानी की आवश्यकता में मदद मिल सकती है।
गन्ना, कपास पर सबसे ज्यादा प्रभाव
महाराष्ट्र में अधिकांश नदी घाटियों में वर्षा नहीं हुई है और बड़े पैमाने पर कम वर्षा हुई है। राठौड़ ने गन्ना और कपास जैसी लंबी अवधि की फसलों को प्री-मानसून बारिश से काफी फायदा पहुंचता है। उन्होंने कहा कि प्री-मानसून की बारिश लू की स्थिति को कम करती है। राठौर ने कहा, ‘इस बार कम प्री-मानसून बारिश से पता चलता है कि दिन के उच्च तापमान से थोड़ी राहत क्यों मिली है।’
कृषि मौसम विज्ञान विभाग, आईएमडी, पुणे के प्रमुख कृपान घोष ने कहा कहते हैं कि विशेष रूप से मई में अच्छी प्री-मानसून बारिश खरीफ की अगेती फसलों के लिए वरदान हो सकती है। अपर्याप्त सिंचाई होने पर उत्तरी महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में हीटवेव की स्थिति भी फसलों को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में प्री-मानसून बारिश फायदेमंद हो सकती है।