राजधानी देहरादून में रोबोटिक स्किविजिंग मशीन को लाने का निर्णय लिया गया है, जिसे केरल के युवाओं ने डिज़ाइन किया है।
इस मशीन का उपयोग सीवर मेनहोल की सफाई के लिए किया जाएगा और इससे कर्मचारियों को जहरीली गैस से होने वाली खतरे से मुक्ति मिलेगी।
जल संस्थान की साउथ डिवीजन ने इस मशीन की खरीद प्रक्रिया की शुरुआत की है।
इस मशीन का आदान-प्रदान सीवर के मेनहोल पर होगा, जहां वह गंदगी को सफाई करेगा।
मशीन में लगे कैमरे भी मेनहोल के अंदर की लाइव स्थिति को एक स्क्रीन पर दिखा सकेंगे, जिससे वह पता कर सकेंगे कि कहां पर कचरा, पत्थर या रेत फंसी हुई है, और उसे तुरंत निकाल सकेंगे।
मशीन की भुजाएं जमा हुई गंदगी को बाहर निकालने में मदद करेंगी, जिससे सीवर लाइन स्वच्छ और स्वस्थ बन सकेगी।
अब तक कर्मचारी या तो सीवर के मेनहोल में जाकर गंदगी को हटाने के लिए बांस का सहारा लेते थे या फिर स्वयं ही मेनहोल में प्रवेश करके गंदगी को दूर करते थे, जिससे उन्हें जहरीली गैस के खतरे का सामना करना पड़ता था।
रोबोटिक मशीन के आगमन से इस समस्या को हल किया जा सकेगा।
रोबोटिक सीवर क्लीनिंग मशीन में 36 कैमरे हैं, जो सीवर लाइन के भीतर गहराई से गंदगी की सही लोकेशन को दिखा सकते हैं।
मशीन की भुजाएं 80 फीट गहराई में तक जा सकती हैं और कचरे को निकालकर बाहर ला सकती हैं।
इसके अलावा, यह मशीन मेनहोल में फंसे कचरे, पत्थर, रेत आदि को भी निकाल सकती है। इसका मूल्य करीब 32 से 40 लाख रुपये है, लेकिन यह नई तकनीक उत्तराखंड के सीवर लाइन की सफाई में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
जल संस्थान उत्तराखंड में सीवर मेनहोल की सफाई के लिए एक नई युग की शुरुआत कर रहा है।
अगर यह प्रयास सफल रहता है, तो आने वाले दिनों में अन्य शहरों में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।
इसमें से कुछ राज्यों में पहले ही इस मशीन का उपयोग शुरू हो चुका है, और देश के कई और राज्यों में भी यह प्रक्रिया जारी है।

