देहरादून
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"झोलाछाप डॉक्टरी की भरमार में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही"

"Quarterly increase in health department due to fraudulent medical data"

देहरादून: झोलाछाप डॉक्टरी की भरमार में स्वास्थ्य प्रणाली की मुसीबतें

पिछले कुछ सालों से देहरादून शहर में एक चिंताजनक समस्या का सामना किया जा रहा है, जिसने नगर की स्वास्थ्य प्रणाली को गहराई से हिला दिया है – वही है “झोलाछाप डॉक्टरी की भरमार”. इस बेहद गंभीर स्वास्थ्य समस्या के पीछे उपेक्षा, जागरूकता की कमी, और शहर के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कई पहलु हैं।

यह मुद्दा न केवल नगर के स्वास्थ्य प्रणाली को खतरे में डाल चुका है, बल्कि यह एक बड़े सामाजिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का संकेत भी हो सकता है।

झोलाछाप डॉक्टरी की भरमार का असली कारण नगर के स्वास्थ्य प्रणाली में उपेक्षा है, यह समस्या न केवल नियंत्रित डॉक्टरों की कमी के कारण उत्पन्न हुई है, बल्कि यह शहर के स्वास्थ्य विभाग की अपारीतता और अव्यवस्था की वजह से भी बढ़ गई है।

अस्पतालों में आवश्यक सुविधाओं की कमी, अस्पतालों के सामाजिक दायित्वों में लापरवाही, और उपयुक्त उपचार की पर्याप्त व्यवस्था की न होने की वजह से डॉक्टरों की भागदौड़ बढ़ गई है।

इस समस्या के एक और पहलु है जागरूकता की कमी। नगर के नागरिकों को झोलाछाप डॉक्टरों के बारे में अपर्याप्त जानकारी होने की वजह से वे अक्सर ऐसे दलालों की चपलाकी में आ जाते हैं, जो तनावपूर्ण स्थितियों का लाभ उठाते हैं।

यह सिर्फ उनके स्वास्थ्य पर नकरात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि इससे झोलाछाप डॉक्टरी की समस्या का समाधान भी देरी से हो रहा है।

उचित प्रबंधन की कमी भी इस समस्या का मुख्य कारण है। नगर के स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वह सक्रिय रूप से नगर के डॉक्टरों की निगरानी करे, उनकी सुविधाओं की देखभाल करे और उन्हें उचित योग्यता और प्रशिक्षण प्रदान करे।

साथ ही, नागरिकों को भी झोलाछाप डॉक्टरों के बारे में सही जानकारी प्राप्त करने के लिए जागरूक होना चाहिए ताकि वे सही समय पर सही उपचार प्राप्त कर सकें।

इस समस्या का समाधान न केवल स्वास्थ्य विभाग के प्रति जागरूकता और उचित प्रबंधन में ही है, बल्कि नगर के सभी नागरिकों के एकजुट होकर सहयोग करने में भी है।

यह समस्या न केवल नगर के स्वास्थ्य को खतरे में डाल चुकी है, बल्कि यह नगर के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली के प्रति भी हमारे सामाजिक दायित्व की कमी का परिचयक है।

इसलिए, इस समस्या का समाधान न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सामाजिक स्तर पर भी आवश्यक है, ताकि हम एक स्वस्थ और जीवनशैली में सुधार की दिशा में कदम बढ़ा सकें।

झोलाछाप डॉक्टरी की भरमार: देहरादून शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल

पिछले कुछ सालों से देहरादून शहर में एक चिंताजनक समस्या का सामना किया जा रहा है, वही है झोलाछाप डॉक्टरी की भरमार।

शहर में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और उचित प्रबंधन की कमी के कारण, इस समस्या का समाधान ढूंढने में कई वर्ष बित गए।

झोलाछाप डॉक्टर, जिन्हें अक्सर ‘चरलैट’ या ‘क्वैक’ भी कहा जाता है, उनका मुख्य धंधा व्यक्तिगत सलाह देना और जादू-टोना के द्वारा लोगों को बेवकूफ बनाना।

यह लोग आमतौर पर अस्पतालों या क्लिनिक्स में उपलब्ध समाधानों के स्थान पर आयुर्वेदिक और होमियोपैथिक चिकित्सा के नाम पर विशेष और असत्य सलाह देते हैं।

उनका आकर्षण आमतौर पर विश्वासशून्य और बेहोश रोगियों के प्रति होता है, जो उम्मीद के साथ उनकी दिशा में मुड़ जाते हैं।

शहर में स्थित स्वास्थ्य विभाग के पास इस समस्या के समाधान के लिए संकेत होने के बावजूद भी, उनकी धीमी प्रतिक्रिया और सहयोग की कमी दिखाई देती है।

यह भी एक कारण है कि झोलाछाप डॉक्टरी की संख्या शहर में दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

जब बात झोलाछाप डॉक्टरी की आड़ में धंधा की जाती है, तो यह खुदाई की जा सकती है कि उनके उद्घाटन कार्यक्रमों में बहुत सारे गरीब और जरूरतमंद लोग हिस्सा लेते हैं।

ये लोग अक्सर निःसंदेह आदर्श और प्रसिद्ध डॉक्टरों के बजाय झोलाछाप डॉक्टरों की दिशा में जाते हैं, जिनका मानना होता है कि वे अधिक पर्याप्त और सस्ते उपाय प्रदान करते हैं।

इस समस्या के समाधान के लिए सरकारी स्वास्थ्य विभाग को जागरूक होना और सख्त कानूनी कदम उठाने की आवश्यकता है।

उन्हें झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डालने वाले इस प्रकार के दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को रोका जा सके।

झोलाछाप डॉक्टरी की भरमार देहरादून शहर के स्वास्थ्य प्रणाली की कमजोरी और संवेदनशीलता का परिणाम है।

स्वास्थ्य विभाग को जल्द से जल्द उचित कदम उठाने और लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों के प्रभाव से बचाने के लिए उचित कार्रवाई करने की आवश्यकता।

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