देहरादून : नगर निगम की ओर से इस बार समय पर फागिंग व लार्वीसाइड के छिड़काव के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक शहर की कालोनियों में निगम की कार्रवाई नजर नहीं आ रही है।
बीते वर्ष शहर में डेंगू ने व्यवस्थाओं की पोल खोल दी थी।
ऐसे में इस बार भी सिस्टम की लापरवाही भारी पड़ सकती है।
नगर निगम की ओर से समय पर एहतियाती कदम उठाते हुए शहर में एक अप्रैल से फागिंग शुरू किए जाने का दावा किया जा रहा है।
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लेकिन, अभी तक न तो निगम की फागिंग नजर आई है और न ही कहीं लार्वीसाइड का छिड़काव दिख रहा है।
जबकि, गर्मी बढ़ने के साथ ही मच्छर सक्रिय हो गए हैं और गली-मोहल्लों में अभी से मच्छर परेशान कर रहे हैं।
नगर निगम की ओर से इस बार समय पर फागिंग व लार्वीसाइड के छिड़काव के दावे किए जा रहे हैं लेकिन अभी तक शहर की कालोनियों में निगम की कार्रवाई नजर नहीं आ रही है।
बीते वर्ष नगर निगम की ओर से जून में फागिंग शुरू की गई थी तब जुलाई में बड़ी संख्या में डेंगू के मामले आने लगे थे और अगस्त-सितंबर में स्थिति गंभीर हो गई थी।
गर्मी बढ़ने के साथ दून में मच्छर भी सक्रिय हो गए हैं। वर्षाकाल में शहर लगभग हर बार ही डेंगू का प्रकोप झेलता है।
गर्मी बढ़ने के साथ ही मच्छर-मक्खियां पनपने लगे हैं। गली-मोहल्लों में छोटी-बड़ी नालियां गंदे पानी से अटी पड़ीं हैं और कोई सुधलेवा नहीं।
क्षेत्रवासी नगर निगम को लगातार शिकायत कर रहे हैं, लेकिन निगम की नींद अभी नहीं टूट रही है। शहर की ज्यादातर घनी कालोनियों में सफाई व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है।
नालियों में पानी और कूड़ा जमा है। गर्मी बढ़ने के साथ ही नालियों से उठ रही दुर्गंध से लोग परेशान हैं और मच्छर भी फैल रहे हैं। कई कालोनियों से निगम को चोक नालियां खोलने और सफाई करने की शिकायतें मिल रही हैं।
नगर आयुक्त की ओर से दो सप्ताह पूर्व ही स्वास्थ्य अनुभाग को डेंगू की रोकथाम के लिए सभी प्रभावी कदम उठाने और वर्षाकाल में लार्वा न पनपने देने के निर्देश दे दिए थे।
जिसके बाद नगर निगम का दावा है कि एक अप्रैल से सघन आबादी क्षेत्रों में फागिंग शुरू भी कर दी गई।
सफाई सुपरवाइजरों को वार्डवार फागिंग की जिम्मेदारी दी गई है।
साथ ही अनुबंधित कंपनी से समय पर सभी ससांधन उपलब्ध कराने को कहा गया है। फागिंग मशीनें भी रिपेयर करा दी गई हैं।
हालांकि, निगम के दावे धरातल पर नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि, बीते वर्ष नगर निगम की ओर से जून में फागिंग शुरू की गई थी, तब जुलाई में बड़ी संख्या में डेंगू के मामले आने लगे थे और अगस्त-सितंबर में स्थिति बेहद गंभीर हो गई थी।