पिछले दो-तीन महीनों से इन्फ्लूएंजा वायरस का एक सब-टाइप एच3एन2 फैल रहा है। देश के कई हिस्सों में लोगों में इसी स्ट्रेन के लक्षण मिले हैं।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाकी सब-टाइप्स की तुलना में इस वैरिएंट की वजह से लोग अस्पतालों में ज्यादा भर्ती होते हैं।
मरीजों में दिख रहे सिरदर्द, खांसी, बुखार जैसे लक्षण:
मेदांता हॉस्पिटल के आंतरिक चिकित्सा विभाग की सीनियर डायरेक्टर सुशीला कटारिया ने कहा कि ये मरीज इन्फ्लुएंजा ए वायरस के एच3एन2 स्ट्रेन से संक्रमित हैं।
फ्लू के मरीज को 2-3 दिनों तक तेज बुखार बना रहता है। शरीर में दर्द, सिरदर्द, गले में जलन इसके अलावा मरीज में लगातार दो हफ्ते तक खांसी होती है। ये फ्लू के सामान्य लक्षणों में गिने जाते हैं।
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मरीजों को हो रहीं ब्रॉन्काइटिस जैसी फेफड़ों की गंभीर बीमारियां:
प्राइमस स्लीप एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के प्रमुख एस.के. छाबड़ा ने न्यूज एजेंसी IANS को बताया कि मरीजों में वायरल फीवर के साथ, सर्दी, खांसी और ब्रॉन्काइटिस जैसी फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याएं देखने को मिल रही हैं।
वहीं, सीने में जकड़न और वायरल इंफेक्शन के मामले भी देखे जा रहे हैं।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने बताया- इन्फ्लूएंजा हो तो क्या करें:
फेस मास्क पहनें और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें, अपने हाथों को नियमित रूप से पानी और साबुन से धोते रहें।
नाक और मुंह छून से बचें, खांसते या छींकते समय अपने नाक और मुंह को अच्छी तरह कवर करें।
खुद को हाइड्रेट रखें, पानी के अलावा फ्रूट जूस या अन्य पेय पदार्थ लेते रहें, बुखार आने की स्थिति में पैरासिटामोल लें।
IMA की सलाह एंटीबैक्टिरियल दवाओं के इस्तेमाल से बचें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने लोगों को सलाह दी है कि सर्दी, जुकाम, बुखार और उबकाई आने पर बिना सोचे-समझे एंटीबायोटिक्स न लें।
एसोसिएशन ने डॉक्टरों को भी कहा है कि वे मरीजों के लक्षणों को देखकर ही इलाज दें और एंटीबायोटक्स प्रेस्क्राइब न करें।
एसोसिएशन ने कहा कि हमने कोरोना के दौरान एजिथ्रोमाइसिन और आइवरमेक्टिन का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल होते देखा है।
ज्यादा एंटीबायोटिक्स लेने से लोगों के शरीर में इसे लेकर प्रतिरोध पैदा हो गया है। इसलिए एंटीबायोटिक्स प्रेस्क्राइब करने से पहले ये देखना होगा कि इन्फेक्शन बैक्टीरियल है या नहीं।
एक हफ्ते में ठीक हो जाता है फ्लू:
फ्लू वैसे तो एक हफ्ते के अंदर सही हो जाता है, लेकिन अगर शरीर में और कोई कॉम्प्लिकेशन है तो इसका असर अन्य ऑर्गन्स पर भी पड़ सकता है।
कुछ लोग इससे बचने के लिए नियमित तौर पर फ्लू की वैक्सीन भी लगवाते हैं।