यदि आपको विशवास नहीं 1930 का गोर्वरमेंट आफ इंडिया रुल निकालकर देख लीजिए ऑनलाइन मिल जायेगा , कामा फुल स्टाप तक नही बदला, संबिधान का 90% हिस्सा इसी गोर्वरमेंट आफ इंडिया रुल का है बाकी मात्र 10% हिस्सा ही है जो अपना है यानि अन्य जगहों से लिया गया है, वो भी इसलिये क्योकि भगवान की कृपा से उस समय हमारे पास बाबासाहेब अंबेडकर जी जैसे दूरदर्शी और विद्वान व्यक्ति मौजूद थे।
जो अंग्रेजो की इतनी बड़ी ताकत होने के बावजूद संविधान का 10% हिस्सा अपनी तरफ से जोड़ने में कामयाब हुए वरना बचा कुचा देश भी कब का बिक चूका होता।
हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था 1840 में मैकाले की बनायीं हुयी, न्याय व्यवस्था 1860 में अंग्रेजो की बनाई हुई, पुलिस व्यवस्था 1860 में अंग्रेजो की बनाई हुई।
भारतीय दंड संहिता, सिविल प्रक्रिया संहिता, दण्ड प्रक्रिया संहिता सब 1860 में अंग्रेजो का बनाया हुआ।
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भूमि अधिग्रहण कानून 1894 में डलहौजी द्वारा अंग्रेजो का बनाया हुआ , ऐसे ही आज देश में अंग्रेजो के बनाये हुए लगभग 34,000 ऐसे नियम, कानून, शर्तें है जो आज भी चल रहें हैं।
इस संविधान के बारे में बाबा साहेब अंबेडकर जी ने 1953 मे राज्यसभा मे बयान देते हुऐ खुद कहा था कि यदि कोई अनुमति दे तो मैं पहला व्यक्ति मैं हूंगा आवर और जो इस संविधान को जला दे क्योकि यह संविधान कभी भी देश का भला नहीं कर सकता हैं।
आप चाहें तो राइट टू इंफॉर्मेशन के माध्यम से उस बयान की कॉपी प्राप्त कर सकते हैं और सबसे बड़ा झूठ संविधान के प्रथम पेज पर लिखी वो लाइन की ” हम भारत के लोग इस संविधान को आत्मार्कित करते हैं।
यानी स्वीकार करते हैं, कब किया था? संविधान सभा में शामिल कुछ लोगों ने स्वीकार कर लिया इसका मतलब ये तो नहीं की पुरे देश ने स्वीकार कर लिया।
इस संविधान मेँ अबतक 100 से भी ज्यादा अमेन्डमेन्ट हो चुके हैँ , किसी देश के संविधान में इतने कम समय में इतने अमेन्डमेन्ट तभी संभव है जब उसमे बहुत बडी खामी हो , ऐसे संविधान से किसी देश का भला नही हो सकता क्या?
आज वो संविधान भी आपके सामने है और आजादी के 70 सालो के बाद देश की हालत भी।
आज अंग्रेजी कानूनो से भरे पडे उसी तथाकथित भारत के संविधान के लागू होने का अशुभ दिन है।