क्या आपके लिए मुमकिन हैं “उन्हें” भुला पाना ; आज बात करते हैं पहले प्यार की , पहली चाहत और अट्रेक्शन की क्योंकि हम और आप ये तो जानते ही हैं कि इंसान की जिंदगी की सबसे गहरी और जटिल भावनाओं में से एक है. जब दो लोग एक रिश्ते में बंधते हैं, तो उनके बीच कई यादें, इमोशंस और ख्वाब जुड़ जाते हैं, लेकिन जब ये रिलेशन टूटता है, तो वो शख्स खुद को खालीपन और दर्द के दलदल में फंसा पाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या एक्स को भुला पाना मुमकिन है?
इश्क में पड़े किसी इंसान के लिए मूव ऑन करना इसलिए मुश्किल हो जाता है क्योंकि उसका दिल और दिमाग दोनों उस इंसान की यादों में उलझा रहता है. हर छोटी-छोटी चीज, जैसे उनकी पसंदीदा जगहें, गाने, या गिफ्ट, पुरानी यादों को ताजा कर देती हैं. साइकोलॉजिकल नजरिए से देखें तो ये आदत और लगाव का नतीजा है. जब आप किसी के साथ अच्छा वक्त बिताते हैं, तो आपका दिमाग एक सेट पैटर्न में ढल जाता है. रिश्ता खत्म होने के बाद भी, दिमाग उन पैटर्न्स को तोड़ने में टाइम लगाता है।
मूव ऑन करने में दिक्कत का एक बड़ी वजह ये भी है कि हम अक्सर अपने एक्स को ‘आदर्श’ मान लेते हैं. हमें उनके पॉजिटिव पहलू ज्यादा याद रहते हैं, और नेगेटिव चीजों को भूल जाते हैं. ये ‘रोजी रेट्रोस्पेक्शन’ (Rosy Retrospection) कहलाता है. ये हमें उस इंसान की और भी ज्यादा याद दिलाता है और हमें जिंदगी में आगे बढ़ने नहीं देता।
इस बात को समझना जरूरी है कि एक्स को भुलाना नामुमकिन नहीं है. इसके लिए सबसे पहले खुद को वक्त देना और अपने आप को एक्सेप्ट करना जरूरी है. खुद को नई चीजों में बिजी रखें, जैसे कोई हॉबी अपनाना, दोस्तों के साथ टाइम स्पेंड करना, या किसी नई जगह का सफर करना. सोशल मीडिया पर एक्स को फॉलो करना बंद करें, ताकि उनकी यादें बार-बार आपके सामने न आएं. अपने मन में यह समझारी जगाना भी जरूरी है कि मूव ऑन करना एक प्रॉसेस है, जिसमें वक्त लगता है. खुद को मजबूत बनाएं और यकीन रखें कि एक दिन आप अपने दिल और दिमाग को उस इंसान से आजाद कर पाएंगे. इश्क में हार मानने की जरूरत नहीं, क्योंकि हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत होता है।