सदन पटल पर रखी गई रिपोर्ट के अनुसार सात सरकारी विश्वविद्यालयों में 134 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई हैं।
जानकारी के अनुसार, इन गड़बड़ियों में विवि ने बिना शासन की अनुमति के नियुक्तियाँ की और अनियमित वेतन भुगतान किया, जिसके फलस्वरूप एक करोड़ चार लाख 77 हजार का अनियमित भुगतान हुआ।
नियम विरुद्ध भर्ती: विश्वविद्यालय ने 86 पदों पर नियम विरुद्ध भर्तियों से 2.87 करोड़ का नुकसान किया है।
यहां पर भी बिना पद सृजन किए तकनीकी, प्रशासनिक, शैक्षिक, परामर्शदाताओं की नियुक्तियाँ नियत वेतन पर की गई और सात संविदा कर्मियों को अनियमित भुगतान किया गया।
- Advertisement -
कुमाऊं विवि: कुमाऊं विश्वविद्यालय में परीक्षा प्रक्रिया के कंप्यूटराइजेशन में फर्म को 23 लाख 80 हजार अधिक भुगतान किया गया, जबकि स्टाफिंग पैटर्न को शासन की अनुमति बिना लागू किया गया और 1.44 लाख का नुकसान हुआ।
संस्कृत विवि: संस्कृत विश्वविद्यालय ने विभिन्न महाविद्यालयों, शिक्षण संस्थानों की मान्यता देकर विद्यालय प्रबंधन को 3.97 करोड़ का अनुचित लाभ पहुंचाया है, जबकि विवि के कार्मिकों की अन्य जगहों पर संबद्धता से 18.50 लाख का अनियमित भुगतान किया गया है।
खरीद में अनियमितताएं: दून विश्वविद्यालय ने साइकोलॉजी लैब से संबंधित सामग्री नियम विरुद्ध 1.91 लाख रुपये की खरीदी की है, जबकि नियम विपरीत 2.07 लाख का सॉफ्टवेयर खरीदा गया है।
आयुष काउंसलिंग का पैसा फर्म के खाते में: आयुर्वेद विश्वविद्यालय में आयुष काउंसलिंग के पैसे सेवा प्रदाता फर्म के खाते में जमा किए गए हैं, जिनमें से कंपनी ने अब तक 18.48 लाख रुपये वापस नहीं किए हैं।
प्रदेश में इन गड़बड़ियों के साथ, सार्वजनिक मोर्चे पर विवि की वित्तीय प्रबंधन में लापरवाही बढ़ रही हैं, जो सरकार के संसाधनों का अनुचित उपयोग कर रही हैं।
यह समस्याएं विश्वविद्यालयों के प्रशासन और वित्तीय विभागों के लिए गंभीर चुनौतियों का सामना करा रही हैं, और सरकार को उन्हें सुधारने के लिए कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ।