कांग्रेस के असंतुष्ट समूह कहे जाने वाले जी-23 के नेता गुलाम नबी आजाद को पार्टी एक बार फिर से अहम भूमिका में ला सकती है। बीते सप्ताह ही जम्मू-कश्मीर के प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और अब नए अध्यक्ष की तलाश जारी है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इसमें गुलाम नबी आजाद की अहम भूमिका हो सकती है और उन्हें पार्टी राज्य में संगठन को खड़ा करने के लिए फ्रीहैंड दे सकती है। साफ है कि प्रदेश अध्यक्ष चुनने में भी उनकी अहम भूमिका होगी। फिलहाल इसके लिए मीटिंगों का दौर जारी है। कल इसके लिए बैठक हुई थी और आज एक बार फिर से दिल्ली में केसी वेणुगोपाल के साथ गुलाम नबी आजाद और प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल की मीटिंग है।
मंगलवार को दिल्ली में हुई मीटिंग में शामिल हुए नेताओं ने कहा, ‘कल हुई मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर किसी नेता के नाम पर बात नहीं हुई, लेकिन यह चर्चा रही कि कैसे केंद्र शासित प्रदेश में संगठन को मजबूती दी जाए।’ कयास हैं कि इस साल के अंत तक या फिर अगले बरस के शुरुआती महीनों में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। ऐसे में पार्टी चुनाव से पहले अपने संगठन को कस लेना चाहती है। अब इसी सिलसिले में दूसरे राउंड की मीटिंग दिल्ली में होनी है। इस बैठक के बाद राज्य को लेकर पार्टी कोई बड़ा ऐलान कर सकती है।
प्रदेश अध्यक्ष पर फैसले में लग सकता है कुछ वक्त
केसी वेणुगोपाल और रजनी पाटिल के साथ मंगलवार की मीटिंग में जो नेता शामिल हुए थे, उनमें कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला, पूर्व डिप्टी सीएम तारा चंद, मूला राम, बलवान सिंह, बलबीर सिंह, रविंदर शर्मा, मनोहर लाल, योगेश साहनी और विकार रसूल थे। इस मीटिंग में सभी नेताओं को 15 से 20 मिनट का वक्त दिया गया था और व्यक्तिगत बातचीत की गई थी। उस मीटिंग में गुलाम नबी आजाद और अंबिका सोनी मौजूद नहीं थे, लेकिन आज वह भी रहेंगे। इस मीटिंग के बाद कुछ ऐलान हो सकता है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर फैसला लेने में कुछ वक्त लग सकता है। इसकी वजह गुटबाजी है और सभी को साधते हुए कुछ फैसला लेने का प्रयास किया जाएगा।
गुटबाजी के चलते ही गुलाम अहमद मीर ने दिया था इस्तीफा
बता दें कि बीते सप्ताह ही प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 8 साल तक पद पर रहने के बाद इस्तीफा दिया था। गुलाम नबी आजाद के भरोसेमंद नेताओं से उनकी अदावत थी और माना जा रहा है कि इसी गुटबाजी के चलते उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। उनके विरोध में कुछ महीने पहले गुलाम नबी आजाद के करीबी नेताओं ने सामूहिक इस्तीफे दिए थे और पदों को छोड़ दिया था। इन नेताओं में जुगल किशोर शर्मा, मनोहर लाल शर्मा, गुलाम नबी मोगा, नरेश गुप्ता, सुभाष गुप्ता, विकार रसूल और जीएम सरूरी आदि शामिल थे।
- Advertisement -