जी-20 समिट में भारत ने एक अद्वितीय कदम, जिससे देश के प्राचीन और धार्मिक धरोहर को विदेशी मेहमानों के साथ साझा किया जा सकता है।
भारत सरकार ने विदेशी डिप्लोमेट्स और विपक्षी राष्ट्रों के अधिकारीगणों को एक विशेष पुस्तक के माध्यम से भारतीय संस्कृति का परिचय दिया है।
इस पुस्तक का खास बिन्दु है उत्तराखंड के देहरादून में स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर को समर्पित करना, जो महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है।
इस पुस्तक के 55 पेजों के दौरान, टपकेश्वर महादेव मंदिर के चित्र, उसका इतिहास, और उसके पास के रहस्यों का वर्णन किया गया है।
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टपकेश्वर महादेव मंदिर, देहरादून का सबसे प्राचीन मंदिर है, इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और यहां के पुरातात्विक खगोलशास्त्र में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
टपकेश्वर महादेव मंदिर की गुफा में शिवलिंग पर लगातार पानी की बूंदें गिरती रहती हैं, जिससे यह मंदिर अत्यधिक प्रसिद्ध है।
इस विशेषता के कारण ही इसका नाम “टपकेश्वर” है, जिसका अर्थ होता है “टपता हुआ ईश्वर”।
विदेशी मेहमान न केवल टपकेश्वर महादेव मंदिर के महत्व को समझ सकते हैं, बल्कि भारत के कई अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों और ऐतिहासिक स्मारकों के बारे में भी जान सकते हैं।
इस पुस्तक में भारत के अन्य मंदिरों के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है, जिसमें उनका इतिहास, धार्मिक महत्व, और उनके साथ जुड़े महत्वपूर्ण कथाएं शामिल हैं।
जी-20 समिट के माध्यम से भारत ने विश्व को यह संदेश भेजा है कि यह एक देश है जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को महत्वपूर्ण मानता है, और वह इसे पूरी दुनिया के साथ साझा करने के लिए तैयार है।
यह पुस्तक एक सशक्त और विविध भारत का प्रतीक है, जो अपने ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण करता है और उसे विश्व साझा करने का प्रयास कर रहा है।
इस पुस्तक के माध्यम से, भारत ने विदेशी मेहमानों को अपनी अमूल्य धरोहर का अनुभव करने का मौका प्रदान किया है, जिससे दुनिया के लोग भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति और भी गहरी रुचि और समझ पाएंगे।
जी-20 समिट से, जिसमें भारत ने विदेशी मेहमानों को अपनी संस्कृति की पहल दिखाई।