वन विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार इस सीजन में अब तक फॉरेस्ट फायर की 82 घटनाएं ही हुई हैं, लेकिन उत्तराखंड की सड़कों पर यात्रा करते हुए महसूस किया जा सकता है कि वास्तव में आग लगने की वास्तविक घटनाओं और रिकॉर्ड में दर्ज घटनाओं में बड़ा अंतर हो सकता है।
उत्तराखंड में सड़क मार्ग से जहां कहीं जंगल नजर आये सभी जंगलों के किसी न किसी हिस्से से धुआं उठता नजर आ रहा हैं।
यह आग निचले क्षेत्रों से लेकर ऊंचाई वाले जंगलों तक लगी नजर आ रही है।
हमेशा की तरह इस बार भी ज्यादातर आग चीड़ के जंगलों में ही है और चमोली जिले में कुछ जगहों में बांज और बुरांश के जंगलों में भी आग लगी दिख रही है।
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वन विभाग के रिकॉर्ड में अब तक केवल 82 घटनाएं ही दर्ज की गई हैं।
वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार अब तक रिजर्व फॉरेस्ट क्षेत्र 61 और सिविल सोयम क्षेत्र के 21 जंगलों में आग लगने की घटनाएं हुई हैं।
कुल 82 घटनाएं हुई हैं, और आग की इन घटनाओं ने 133.05 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है।
इसके 3 हेक्टेयर वह क्षेत्र भी है, जहां वृक्षारोपण किया गया था।
अब कुल मिलाकर अब तक 5 लाख, 25 हजार 420 रुपये के नुकसान का अब तक आकलन किया गया है।
उत्तराखंड में इस बार बुझी नहीं आग:
बारिश कम होने के कारण इस बार सर्दियों के मौसम में भी लगातार जंगल धधकते रहे हैं ।
पिछले वर्ष अक्टूबर तक मानसून की बारिश होती रही थी।
उसके बाद राज्य में सिर्फ छिटपुट बारिश हुई।
अब नतीजा यह हुआ कि दिसंबर और जनवरी जैसे ठंडे महीनों में भी जंगलों के कई जगहों पर आग लगी रही।
इस आग को बुझाने के लिए वन विभाग ने भी कोई इंतजाम नहीं किये।
फरवरी का महीना एवरेज से ज्यादा गर्म रहा और इसी के साथ फॉरेस्ट फायर की घटनाएं भी बढ़ गई।
राज्य में बारिश न होने से हुआ बड़ा नुकसान:
उत्तराखंड फॉरेस्ट्री एंड हॉर्टिकल्चर यूनियवर्सिटी के डॉ: एसपी सती इस बार के मौसम को जंगलों के लिए बेहद नुकसानदेह मान नहीं हैं।
उनका कहना है कि पहले आग लगने की घटनाएं अप्रैल लास्ट से शुरू होकर मिड जून तक ही ज्यादा होती थी।
इस बार दिसंबर जनवरी में भी फॉरेस्ट फायर की घटनाएं हुई, जो अब तेज हो गई हैं।
उनका कहना हैं कि यदि आने वाले दिनों में अच्छी बारिश नहीं होती तो उत्तराखंड के जंगलों को भारी नुकसान होगा।
हालांकि उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में राज्य में बारिश होगी और वनों का कुछ बचाव हो सकेगा।