प्रस्तावित फोरलेन हाईवे के लिए एलाइनमेंट के तहत बेशकीमती और औषधिगुण वाले पेड़ों के अंधाधुंध कटान से वन संपदा को बड़ा नुकसान पहुंचने का अंदेशा है।
हालांकि वन विभाग ने कुछ समय पहले ही एलाइनमेंट को हरी झंडी दी है। बनबसा के जगबुड़ा पुल से नेपाल सीमा तक 4.5 किमी फोरलेन हाईवे प्रस्तावित है।
इस फोरलेन हाईवे को नेपाल में बन रहे सूखा बंदरगाह से जोड़ा जाना है। इस अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट में एलाइनमेंट के तहत वन भूमि पर पेड़ों के कटान का कार्य जोरों पर चल रहा है।
खटीमा फॉरेस्ट रेंज की जमीन पर हाईवे के करीब साढ़े तीन किमी के दायरे में तकरीबन 2200 पेड़ों की बलि दी जा रही है।
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एलाइनमेंट बदलकर बच सकते थे काफी पेड:
सूत्रों के मुताबिक, अगर लट्टाखल्ला-गड़ीगोठ में मौजूदा एलाइनमेंट को बदलकर 100 मीटर केनाल की उत्तर दिशा में मोड़ दिया जाता, तो बड़ी मात्रा में वन संपदा को बचाया जा सकता था।
माना जा रहा है कि अगर इस एलाइनमेंट से हाईवे का सर्वे होता तो करीब 2000 पेड़ कटने से बच सकते थे।
अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट होने के चलते अंत में वन विभाग को इस एलाइनमेंट को क्लीयरेंस देना पड़ा।
पहले एनएचएआई ने बदला था एलाइनमेंट:
एनएचएआई ने पहले वन भूमि से हटकर सर्वे किया था। जिसका एलाइनमेंट केनाल के करीब आबादी से होकर था। जिसमें वन विभाग की कुछ ही भूमि इसकी जद में आ रही है।
लेकिन नेपाल ने इस एलाइनमेंट पर आपत्ति जताई थी।
एनएचएआई की अभियंता मीनू ने बताया कि नेपाल की ओर से जो हाईवे का निर्माण हो रहा था। उस हिसाब से यहां का एलाइनमेंट तकनीकि रूप से बाधा बन रहा था।
एलाइनमेंट के लिए तीन बार होता है सर्वे का अध्ययन:
लोनिवि से रिटायर्ड एई एपीएस बिष्ट ने बताया कि एलाइनमेंट के लिए तीन बार सर्वे किया जाता है। अध्ययन करने के बाद सभी एंगल से सटीक एलाइनमेंट होने के बाद ही इसे एप्रूवल मिलता है।
एलाइनमेंट में आबादी, भौगोलिक स्थिति, वन संपदा, वन्य जीवों के विचरण स्थल, कर्व और अन्य चीजें गंभीरता से देखी जाती हैं।
करीब 2200 पेड़ हमारे रेंज में वन विकास निगम हाईवे के लिए काट रहा है।
बेशक वन संपदा को नुकसान हो रहा है लेकिन ये अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट है।
काटे गए पेड़ों में औषधिगुण वाले सैकड़ों पेड़ों के अलावा बेशकीमती प्रजाति के पेड़ भी शामिल हैं।