जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार नहीं होंगे। उन्होंने विपक्ष का राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने से अपना नाम वापस ले लिया है। फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि अभी वे जम्मू-कश्मीर को नेविगेट करने में अपना योगदान देना चाहते हैं। 370 हटने के बाद यहां हालात अच्छे नहीं है, अब चुनाव की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं तो मेरा यहां होना जरूरी है। इसलिए मैं सम्मानपूर्वक अपना नाम वापस लेना चाहता हूं, संयुक्त विपक्ष जिस नेता के नाम पर सहमत होगी, हम उसके साथ पूरी ताकत के साथ खड़ें होंगे।
फारूक अब्दुल्ला ने विपक्षी नेताओं को कहा शुक्रिया
पूर्व सीएम ने कहा कि विपक्षी नेताओं को राष्ट्रपति पद के लिए उनका नाम प्रस्तावित किया, इससे मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं। बैठक में ममता बनर्जी ने मेरे नाम का प्रस्ताव दिया, इसके बाद कई नेताओं ने मुझे फोन किया और समर्थन देने की बात कही।
15 जून को दिल्ली में ममता बनर्जी के नेतृत्व में विपक्ष की बैठक हुई थी। बैठक में शरद पवार, फारूक अब्दुल्ला और गोपाल गांधी के नाम पर सहमित बनी थी। शरद पवार ने तो बैठक के बाद ही राष्ट्रपति उम्मीदवार न बनने की बात कही थी। इसके बाद फारूक अब्दुल्ला के नाम पर ज्यादातर विपक्षी दल सहमत नजर आ रहे थे।
20-21 जून को हो सकती है अगली बैठक
ममता की बैठक में कांग्रेस, शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भाकपा-एमएल, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, जनता दल (सेक्युलर), आरएसपी, आईयूएमएल, राष्ट्रीय लोक दल और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शामिल हुए थे। इस मसले पर अगली बैठक 20-21 जून को बुलाए जाने की खबरें हैं।
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24 जुलाई को खत्म हो रहा है राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल
18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होनी है, वहीं 21 जुलाई को नतीजे आएंगे। संविधान के नियमों के अनुसार देश में मौजूदा राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने से पहले अगले राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो रहा है।
इसलिए मजबूत है NDA
NDA बहुमत के आंकड़े से बेहद करीब है। उसे बीजेडी के नवीन पटनायक और वायएसआरसी के जगनमोहन रेड्डी के समर्थन की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवीन पटनायक एवं जगन मोहन रेड्डी से मुलाकात भी कर चुके हैं।
हालांकि, दोनों ने ही उम्मीदवार का नाम सामने आने के बाद ही समर्थन पर फैसला करने के लिए कहा है। पिछले राष्ट्रपति चुनाव में NDA का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था। रामनाथ कोविंद को 65.35% वोट मिले थे। इस बार भी NDA इसे दोहराने की कोशिश में है।