उत्तरकाशी : ड्रिलिंग के दौरान बार-बार आ रहे अवरोधों के चलते अब मैनुअल मलबा हटाने पर विचार चल रहा है। करीब नौ मीटर तक मलबे को हटाया जाना शेष है।
ड्रिलिंग के दौरान आ रहे अवरोध से रेस्क्यू कार्य प्रभावित हो रहा है। गुरुवार को मशीन के सामने मोटा सरिया आने से काम रुक गया था।
24घंटे बाद फिर से लोहे के सरिया जैसा अवरोध आ जाने से मशीन फिर से रुक गई।
हालांकि शुक्रवार को रेस्क्यू शुरू होने से पहले शुरू करने जियो फिजिकल विशेषज्ञों ने टनल के मलबे की मैपिंग की थी।
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दावा किया गया था कि अगले 5 मीटर तक कोई लोहे जैसा अवरोध नहीं है। लेकिन 1.5 मीटर की ड्रिलिंग के बाद ही ये दावा फेल हो गया।
एक और लोहे का अवरोध सामने आने से मशीन ने काम करना बंद कर दिया। बार-बार ड्रिलिंग में बाधा के चलते अब विशेषज्ञ मैनुअल ड्रिलिंग पर विचार कर रहे हैं।
उनका मानना है कि मैनुअल ड्रिलिंग में समय लग सकता है। लेकिन, इसमें अंदर फंसे मजदूर भी खेवनहार बन सकते हैं। यदि फंसे मजदूर अंदर की तरफ से मलबा हटाएं और बाहर ऑगर मशीन की जगह मैनुअली कचरा हटाया जाए तो आसानी हो सकती है।
उधर, शुक्रवार को ड्रिलिंग के दौरान मशीन के सामने आए अवरोध हटाने का कार्य जारी है।
मलबे में पड़े 25 मिमी के सरिया व लोहे के पाइप ड्रिलिंग में बाधा बने हैं। इन्हें हटाने का काम किया जा रहा है।
इसमें सात से आठ घंटे का समय लगता है। टीम पाइप में घुसकर गैस कटर से इन्हें काट रही है।
दिवाली वाले रोज निर्माणाधीन सुरंग में भूस्खलन के चलते मलबा भर जाने से 41श्रमिक सुरंग में फंस गए थे।
उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग के पास ये सुरंग बनाई जा रही है।
देश-विदेश के विशेषज्ञों के निर्देशन में आठ टीमें रेस्क्यू कार्य में जुटी हैं। लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है।