गढ़वाल मंडल में 18 एसटीपी के दौरान जांच कराई गई जिसमें पता चला कि रुद्रप्रयाग के एक गदेरे के तेज बहाव में अलकनंदा, पिंडर नदियों के साथ-साथ इन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के अर्थिंग सहित कई उपकरण बह गए हैं।
जल संस्थान ने इस जांच के बाद कंपनी को 48 घंटे के अंदर विद्युत सुरक्षा से संबंधित सभी काम करने के लिए कहा है।
जल संस्थान खुद भी जांच करने में जुट गया है ताकि यहां हुए हादसे की वजह से सुरक्षा के मामले में कोई कमी ना रहे।
जांच पूरी करने के बाद विभाग अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेगा, और रिपोर्ट के आधार पर सरकार आवश्यक कार्रवाई कर सकती है।
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इस समय, कंपनी ने बनाए हुए 11 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन का जिम्मा जल संस्थान को सौंपा है।
हालांकि, हादसे के कारण विद्युत सुरक्षा जांच करवाने की आवश्यकता पड़ी जिसमें से कुछ उपकरण नदियों में बह गए हैं।
इस समय तक, कोई आधिकारिक विवरण या घटना के पीछे कारणों के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है।
इसलिए विद्युत सुरक्षा जांच के परिणाम और सरकार की कार्रवाई के बारे में आगे की खबरों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होगा।
चमोली जिले के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में हुए करंट से हुए हादसे की जांच विद्युत सुरक्षा विभाग ने पूरी कर ली है।
अब विभाग अपनी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेगा, और सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करेगी।
पिछले सप्ताह चमोली के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में हुए करंट से हुए हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई थी।
इसके बाद विद्युत सुरक्षा विभाग ने तीन सदस्यीय टीम को बनाकर सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की जांच करने के लिए भेजा था।
इस जांच के दौरान पता चला कि करंट फैलने का भारी खतरा है और अर्थिंग सहित कई उपकरण नदियों में बह गए हैं।
फिलहाल, विद्युत सुरक्षा जांच के बाद कंपनी को नोटिस जारी करते हुए 48 घंटे के भीतर विद्युत आपूर्ति बंद कराते हुए कंपनी को मरम्मत कराने के लिए कह दिया गया है।
इससे सुरक्षा उपायों को ठीक करने और आगामी दिनों में होने वाले अन्य हादसों को रोकने का प्रयास किया जा सकता है।
यह घटना बहुत गंभीर है और इसे गंभीरता से लेना चाहिए। सरकार द्वारा जांच रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे ताकि इस तरह के हादसे भविष्य में न घटें।
चमोली के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के हादसे के जांच में बड़े पैमाने पर लापरवाही की बात सामने आई है।
इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि घटना की सुरक्षा और निगरानी में कमी थी।
जांच टीम अब अपनी रिपोर्ट को चमोली के जिला अधिकारी (डीएम) को सौंपेगी और उसके बाद सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
डीएम के स्तर से शासन तक रिपोर्ट पहुंचाई जाएगी, और उसके बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
ऊर्जा के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि जांच पूरी हो चुकी है और जल्द ही मामले में कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना के संबंध में विधायिका सभा और अन्य अधिकारियों द्वारा समय पर और निष्कर्षी जांच का महत्व है, ताकि दुर्घटना की वजह और लापरवाही के पीछे के कारणों को पता चल सके और ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोका जा सके।
जिला प्रशासन को जल्द से जल्द उचित कदम उठाने के लिए जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।
चमोली में हुए दर्दनाक हादसे के संबंध में आपके द्वारा दिए गए जानकारी के अनुसार, विद्युत सुरक्षा विभाग ने जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम को भेजा था जो की पांच दिनों तक वहीं थे।
इस टीम ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के अंदर विभिन्न पहलुओं की जांच की जैसे यूपीसीएल के ट्रांसफार्मर, अर्थिंग, केबल, मीटर आदि को जांचा गया।
इसके अलावा, प्लांट के भीतर अर्थिंग से लेकर हर पहलू से भी जांच की गई है।
यह जांच बहुत महत्वपूर्ण है ताकि हादसे की वजह और लापरवाही के पीछे के कारण पता चल सके।
टीम द्वारा की गई जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार को उचित कदम उठाने में मदद मिलेगी और इस तरह के हादसों को भविष्य में रोकने के उपाय बनाए जा सकते हैं।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस हादसे में 16 लोगों की मौत हो गई है। इसके बाद सरकार के द्वारा उचित इंजिनीयरिंग और सुरक्षा के पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है ताकि ऐसी घटना फिर से न हो सके।
सरकार को जांच रिपोर्ट के आधार पर उचित सजा और नियंत्रण कार्रवाई लेने की आवश्यकता है ताकि इस तरह की घटनाएं बढ़ते न रहें।”
जल संस्थान भी जांच कराने में जुटा, कंपनी के बनाए हुए 11 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन का जिम्मा जल संस्थान के पास है।
चमोली में जिस प्लांट में हादसा हुआ, उसका संचालन भी जल संस्थान के जिम्मे था।
जल संस्थान के अधिकारियों के मुताबिक, बाकी 10 प्लांटों की भी जांच कराई जा रही है।
जांच के बाद कंपनी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।”
चमोली में हुए हादसे में विद्युत संचालन के लिए जिम्मेदार जल संस्थान भी जांच कराने में जुटा है।
वह जल संस्थान के अधिकारियों द्वारा दूसरे 10 प्लांटों की भी जांच कर रहे हैं।
जांच के नतीजे के आधार पर कंपनी के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
यह जांच हादसे के कारणों की पहचान करने और ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोकने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।