ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि समूचा उत्तराखंड ही भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है, लेकिन चमोली जिला अधिक चिंता बढ़ता दिख रहा है।
चमोली जिला भूकंप की संवेदनशीलता के लिहाज से चर्चा में आता दिख रहा है।
हिमालय भूविज्ञान संस्थान का ताजा शोध बताता है कि उत्तराखंड के बाकी क्षेत्रों से इतर चमोली जिले की जमीन 10 गुना भूकंपीय ऊर्जा बाहर निकाल रही है।
संस्थान के ताजा शोधपत्र में निदेशक कालाचाँद साईं समेत वरिष्ठ विज्ञानी डा अनिल तिवारी आदि के मुताबिक चमोली क्षेत्र की भूमि की संवेदनशीलता की स्थिति के आकलन के लिए उत्तराखंड क्षेत्र में 5500 भूकंपों का अध्ययन किया गया।
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वर्ष 1999 से 2020 के बीच के इन भूकंपों में 511 में सिर्फ भूकंपीय ऊर्जा का आकलन किया गया।
अध्ययन में शामिल किए गए भूकंपों की तीव्रता दो से लेकर 5.7 मैग्नीट्यूट थी।
इस अध्ययन में पता चला कि राज्य के अन्य क्षेत्रों में भूकंप से 10 से 12 बार ऊर्जा बाहर निकली, जबकि चमोली क्षेत्र में यह ऊर्जा 90 से 100 बार तक भी रही।
वरिष्ठ विज्ञानी डा० तिवारी के मुताबिक यह स्थिति बताती है कि चमोली के भूगर्भ में न सिर्फ अधिक ऊर्जा संचित हो रही है।
बल्कि वह उसी अनुपात में बाहर भी निकल रही है।
वाडिया संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डा तिवारी के चमोली में सतह से 12 से 14 किलोमीटर की गहराई में ठोस चट्टानें और गर्म तरल भूकंपीय ऊर्जा को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
कुल मिला कर चमोली जिले में भूकंप अगर आएगा तो तीव्रता से आएगा। ऐसे में वैज्ञानिकों ने प्रशासन को सतर्क कर दिया है।