पिछले दिनों एक बार फिर बहुत जोश खरोश से खोजी नारद ने यह कामना की कि इनकी और उनकी मनोकामनाएं कभी पूरी न हो। ऐसी कामना मैं जोर शोर से कर नहीं सकता था इसलिए दिल से की ताकि काम भी हो जाए और किसी को पता भी न चले। वैसे तो अपनी सभी किस्म की मनोकामनाएं पूरी करने के लिए विघ्नहर्ता को हर वर्ष घर लाए जाने की परम्परा है लेकिन मैंने इस बार भी ऐसा नहीं किया ताकि लोगों की असमाजिक नज़रों से बचा रहूं। हालांकि मेरे अडोस पड़ोस के लोगों ने मास्क पहनना जारी रखा है लेकिन आजकल उनकी आंखें ज़्यादा सजग हो गई हैं। हर साल विघ्नहर्ता को ससम्मान बुलाया जाता है और सभी विघ्नकर्ताओं की मनोकामनाएं पूरी करने का आशीर्वाद लिया जाता है। अब तो विघ्नहर्ता की मांग बहुत बढ़ गई है लेकिन यह कोई नहीं सोचता कि यदि वे सब की सभी मनोकामनाएं पूरी करने लगे तो दबाव बहुत बढ़ जाएगा।
मनोकामनाएं मन में होती हैं और तिकोनी, चौरस, गोल, टेढ़ी मेढ़ी, तीखी, काली, लाल, नीली और न जाने कैसी कैसी हो सकती हैं। इनमें से बहुत सी व्यक्तिगत इच्छाएं बहुत खतरनाक होती हैं, समाज को शुद्ध हानि पहुंचाने वाली होती हैं। इस बारे स्पष्ट पता नहीं चल पाता है कि अमुक व्यक्ति किस आकार और प्रकार की मनोकामना के लिए विघ्नहर्ता की शरण में जा रहा है। फिर भी किसी भी व्यक्ति का परिचय काफी बता देता है। मैंने विघ्नहर्ता को मन ही मन यही गुजारिश की, कि मनोकामना के पीछे छिपी प्रवृति जानकर अनुचित मनोकामनाओं को ठुकरा देना। विघ्नहर्ता तो अन्तर्यामी होते हैं न। विधि विधान से पूजा अनुष्ठान करवाने वालों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं चाहे उनमें असमाजिक तत्व भी शामिल हों और फिर वे लोग अपनी दूषित कमाई से ज़्यादा चढ़ावा भी देते देखे गए हैं। मैंने विघ्नहर्ता से कहा कि इस साल से ऐसा होना रोक दें।
उनकी गलत इच्छाएं पूरी होती देख आम आदमी दुखी होता है लेकिन कर कुछ नहीं सकता मैंने विघ्नहर्ता से निवेदन किया कि उनकी मनोकामनाएं कभी पूरी न हों। पर्यावरण को जीभर कर नुक्सान पहुंचाने वालों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इतने सख्त क़ानून बनाने वाले, लागू करवाने वाले असहाय रहते हैं। विघ्नहर्ता से इस बारे भी निवेदन किया कि भविष्य उनकी मनोकामनाएं कभी पूरी न करना। सामाजिक सदभाव का ताना बना छिन भिन्न करने वाले सफल हुए जाते हैं। वे आम जनता पर मनचाहे प्रयोग करते हैं लेकिन कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। जातीय, धार्मिक, आर्थिक, क्षेत्रीय वैमनस्य फैलाने वाले कामयाब रहते हैं। अपनी सारी योजनाएं वे पूरी करके छोड़ते हैं। विघ्नहर्ता से इस बारे भी गुजारिश की कि इनकी मनोकामनाएं भी पूरी न होने देना।
हालांकि परिस्थितियों में फंसे ज़्यादा लोग विघ्नहर्ता के दरबार में उपस्थित होने में असमर्थ हैं लेकिन सामाजिक रूप से अनुचित मनोकामनाएं फिर भी पूरी होती हैं अगर आप इस संसार को बचाने में दिलचस्पी रखते हो तो आपसे एक बार फिर अनुरोध है कि राजनीतिक, शातिर, असामाजिक अनैतिक लोगों की मनोकामनाएं कभी पूरी मत करना, हे विघ्नहर्ता पितरो।