मंदिर में लागू हुआ ड्रेस कोड : वृंदावन के मशहूर बांके बिहारी मंदिर आप कई बार गए होंगे, हाथ में थाल लेकर श्री कृष्ण जी की पूजा-अर्चना करने के लिए, लाइन में सबसे आगे खड़े होने की चाहत रहती है। लेकिन शायद अब आप पर नजर भगवान की बाद में सबसे पहले पुजारियों की जाएगी। वो इसलिए मंदिर में ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। जी हां, ये कदम मंदिर की पवित्रता और गरिमा को बनाए रखने के लिए उठाया गया है। प्रशासन का कहना है कि कुछ लोग मंदिर में इस तरह के कपड़े पहनकर आते हैं, जैसे कहीं घूमने जा रहे हो। ऐसे कपड़े धार्मिक माहौल के मुताबिक नहीं होते। श्रद्धालुओं को ट्रेडिशनल और शालीन कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। चलिए आपको बताते हैं किस पर लगी रोक और क्या पहनकर जाना है सही मंदिर प्रशासन ने धार्मिक स्थलों की पवित्रता को बनाने के लिए ये कड़ा कदम उठाया है। कुछ लोग ऐसे कपड़े पहनकर आते हैं, जो और श्रद्धालुओं की भावनाओं को आहत करते हैं। इसलिए, मंदिर में ऐसे कपड़ों पर रोक लगा दी गई है। उनके अनुसार इस फैसले से सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों की रक्षा होगी।
नए ड्रेस कोड के कपड़े पहनकर मंदिर में आना है
- रिप्ड जींस.
- शॉर्ट्स और मिनी स्कर्ट.
- स्लीवलेस टॉप और डीप नेक कपड़े.
- भड़कीले और चमकीले कपड़े भी पहनना है.
- ऐसी टी-शर्ट्स जिन पर भड़काऊ या बेकार के संदेश लिखे हों.
बांके बिहारी मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे मंदिर की पवित्रता को बनाए रखें और शालीन और पारंपरिक कपड़े पहनकर आएं। महिलाएं साड़ी, सूट-सलवार पहन सकती हैं, वहीं पुरुष धोती-कुर्ता, कुर्ता-पायजामा या दूसरे शालीन कपड़े पहन सकते हैं।फैसले पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखी जा सकती है, कुछ का कहना है कि मंदिर की गरिमा बनाए रखने के लिए ये अच्छा कदम है, वहीं कुछ का कहना है कि ऐसा करने से व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर रोक लगा दी गई है। दोनों ही पक्षों के विचार अपने-अपने हैं, लेकिन ये कदम धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाने रखने के लिए उठाया गया है। ये पहली बार नहीं हो रहा जब किसी मंदिर में ड्रेस कोड लागू हुआ हो। बता दें, तिरुपति बालाजी, सबरीमाला और तमिलनाडु के दूसरे मंदिरों में भी ड्रेस कोड का पालन होता है। मंदिर में ड्रेस कोड होने का उद्देश्य धार्मिक स्थल की पवित्रता बनाए रखना है।