दूसरी तरफ कर्मचारियों को अब उपनल और पीआरडी नहीं बल्कि प्राइवेट आउटसोर्स एजेंसी टीडीएस द्वारा नियुक्ति दी जा रही है जिसमें उनकी तनख्वाह कई हजारों कम की जा रही है।
कोरोना वॉरियर्स उपेंद्र प्रसाद सेमवाल का कहना है कि जब मुसीबत के वक्त हमें रखा गया था तब उम्र नहीं देखी गई थी।
लेकिन अब उम्र देख रहे हैं. वहीं, यशवर्धन ने कहा है कि हम लंबे वक्त से आंदोलन कर रहे थे अब हमारी बहाली को लेकर आदेश भी जारी हुआ तो प्राइवेट एजेंसी के द्वारा जो हमें इतने कम वेतन पर नियुक्त करेगी।
महंगाई के इस दौर में इतनी तनख्वाह से हम कैसे गुजारा करेंगे।
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मिली जानकारी के मुताबिक, इन कर्मचारियों को पीआरडी से 17500 और उपनल से 17315 रुपये वेतन दिया जाता था।
जबकि अब प्राइवेट एजेंसी TDS से उन्हें महज 12006 रुपये मिलेंगे।
एक अन्य कर्मचारी परमवीर पंवार ने कहा कि हमें प्राइवेट एजेंसी के द्वारा सिर्फ 6 महीने के लिए सेवा विस्तार दिया जा रहा है।
पहाड़ों के कर्मचारियों को तो बजट के न होने के चलते उन्हें नियुक्ति नहीं मिल रही है।
उन्हें भी नियुक्ति दी जाए और इसी के साथ ही हमें लंबे वक्त के लिए उपनल या पीआरडी के माध्यम से नियुक्त किया जाए।
मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के प्रिंसिपल ने कही ये बात.
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष से ने जानकारी दी है कि 15 सितंबर को दिये गए शासनादेश के अनुसार कर्मचारियों को सेवा विस्तार किया जा रहा है।
कर्मचारियों को उम्र की बाध्यता बताने की जानकारी मिलने पर एजेंसी को निर्देशित किया गया है कि वह शर्त नए कर्मचारियों के लिए हैं।
कोरोनाकाल में रखे सभी कर्मचारियों को विस्तार देने को कहा है. कर्मचारियों की योग्यता के मुताबिक वेतन भी दिया जाएगा।