आज अरबों का मालिक कथित मास्टर माइंड राज्य गठन के वक्त एक पहाड़ी जिले के डीएम के आवास पर खाना बनाता था। डीएम एक मैदानी जिले में आए तो इसे भी साथ ले आए। तभी से इसे सत्ता का स्वाद लग गया।
अफसरों और सियासी नेताओं से गहरे ताल्लुकात बनाए। फिर खुद सियासत में आ गया। इसी बीच इसे पेपर लीक खेल का चस्का लग गया। सूबे में कहीं भी कोई भी भर्ती परीक्षा हो, इसका खेल चालू रहा।
2020 में फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा लीक मामले में इसके खिलाफ एक नामजद एफआईआर हरिद्वार के मंगलौर थाने में हुई। उस वक्त त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएम थे। त्रिवेंद्र ने न तो पेपर लीक को गंभीरता से लिया और न ही एफआईआर को। नतीजा यह रहा है कि सभी नामजद बच निकले और उसका पेपर लीक का खेल बदस्तूर जारी रहा।
सवाल यह है कि पेपर लीक जैसे गंभीर मामले में पुलिस का रवैय्या इतना उदासीन क्यों रहा और त्रिवेंद्र ने इस प्रकरण पर क्यों मौन साध लिया। सवाल यह भी है कि क्या पुलिस की लापरवाही और त्रिवेंद्र के रुख ने इस मास्टर माइंड के हौसले और बुलंद नहीं कर दिए।
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बताया जा रहा है कि इसके उत्तरकाशी जिले में स्थित एक आलीशान होटल का प्रशासनिक और पुलिस अफसरों के साथ ही नेता भी लुफ्त उठाते रहे हैं।