नई दिल्ली (एजेंसी)। एक विशेष अदालत द्वारा दिए गए आदेश में व्यवसायी विजय माल्या की जब्त संपत्ति में से 5646.54 करोड़ रूपये की संपत्ति बैंकों को सौंपने का आदेश दिया गया है। विशेष न्यायाधीश जे सी जगदाले ने आदेश सुनाते हुए कहा कि उसकी संपत्तियों के दावेदार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं। जिन्होंने ज्यादा नुक़सान का सामना किया है। अदालत ने यह भी कहा कि माल्या ने खुद पर बकाया राशि की भरपाई के लिए अपनी सम्पत्ति का हिस्सा देने का प्रस्ताव दिया था। जबकि अब वह बैंकों द्वारा किए गए नुकसान की वसूली के लिए बहाली की याचिका का विरोध कर रहा है।
अदालत ने कहा कि यह बात ध्यान देने योग्य है कि दावेदार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं और ये बैंक जनता के पैसे का लेन-देन कर रहे हैं। आरोपी के खिलाफ इस तरह के दावे को आगे बढ़ाने के लिए दावेदारों का कोई व्यक्तिगत या निजी हित नहीं हो सकता है। माल्या ने खुद इस संपत्ति से बैंकों को पैसे लौटाने की पेशकश की है। अगर बैंकों को नुकसान नहीं हुआ होता तो माल्या ऐसा क्यों करता?
बता दें कि माल्या और उनकी कंपनियों ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि संपत्ति कई साल पहले हासिल की गई थी, उस समय घोटाला नहीं हुआ था। यह भी दावा किया गया कि ईडी द्वारा उनकी कुर्की के खिलाफ दायर अपीलें अभी लंबित पड़ी है। ऐसे में याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी। वही अदालत ने कहा कि तीसरे पक्ष के दावेदारों को डीआरटी से संपर्क करना होगा। अदालत ने वसूली के लिए अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि बैंकों को 2017 में डीआरटी द्वारा जारी किए गए वसूली के प्रमाण पत्र के अनुपालन में अंडरटेकिंग का एक बांड भी जमा करना होगा।
गौरतलब है कि विजय माल्या अपनी दिवालिया किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9,000 करोड़ रूपये के बैंक ऋण को जानबूझ कर न चुकाने के आरोपी हैं। जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने माल्या और उससे संबंधित कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। और उससे जुड़ी संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया था। जिन बैंकों ने माल्या को ऋण दिया था, उन्होंने डीआरटी से संपर्क करके 5,600 करोड़ रूपये की वसूली की मांग की थी।