कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड की प्रदेश प्रवक्ता ने आज चुनाव आयोग की प्रमाणिकता पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया, उन्होंने अपने दिए गए एक बयान में कहा कि उपचुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी जो होती है वहीं चुनाव जीतती है जिसमें वह धनबल और बाहुबल का इस्तेमाल करते हैं।
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता शादाब शम्स ने कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता द्वारा ऐसा कहने पर पलटवार किया। उन्होंने कहा स्वयं कांग्रेस पार्टी सत्ता में रहते हुए कई बार उपचुनाव में उतर चुकी है उनके पूर्व के मुख्यमंत्री भी उपचुनाव में जीत चुके हैं तो क्या उनके द्वारा भी धनबल का और सत्ता का गलत इस्तेमाल किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा बचकाना बयान देना और चुनाव आयोग की प्रमाणिकता पर गंभीर आरोप लगाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
गरिमा मेहरा दसोनी यह भूल गई कि 2014 में हरीश रावत जी मुख्यमंत्री रहते हुए धारचूला से उपचुनाव में उतर चुके हैं और जीत भी चुके हैं तो क्या उनके द्वारा भी धनबल का उपयोग किया गया होगा।
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ऐसे तो संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग की प्रमाणिकता पर भी एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है जो भारत के हर राज्य में विधानसभा चुनाव एवं उपचुनाव संपन्न करवाता है। चुनाव संबंधी समस्त कार्य आयोग की देखरेख में होते हैं उस संस्था पर संदेह पैदा करना और राज्य के सत्तारूढ़ दल पर आरोप लगाना बेहद बचकाना है। ऐसे में पार्टी के महत्वपूर्ण पद पर होते हुए कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता द्वारा ऐसा करना और कहना बेहद गंभीर मामला है।
चुनाव आयोग को इसको संज्ञान में लेकर इन पर कार्यवाई करनी चाहिए और भविष्य के लिए पार्टी प्रत्यासी बनने पर अयोग्य घोषित करना चाहिए ताकि आने वाले भविष्य के चुनाव में ऐसे लोगों के चुनाव लड़ने पर रोक लग सके, जो देश की संवैधानिक संस्थाओं पर उंगली उठा रहे हैं।
इस प्रकरण पर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष अपनी प्रवक्ता की बड़बोले पन और अनुशासन हीनता पर क्या कार्यवाही करेंगे ये भी देखने वाली बात होगी क्योंकि पूर्व में इन्ही की पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रंजीत रावत द्वारा राज्य के दिग्गज नेता हरीश रावत पर भी गंभीर टिप्पणी की गई थी उस पर भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा अनुशासन हीनता की कोई कार्यवाही ना करना भी गुट बाज़ी को बढ़ावा देता नजर आया और सल्ट उप चुनाव में हार के बाद भी उसकी नैतिक जिम्मेदारी ना लेना ये साबित करता है कि इन सब प्रकरणों के सूत्रधार स्वयं कही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तो नही।