चीन ने पाकिस्तान के साथ भारत को घेरने के लिए कई रूपों में कदम उठाए हैं। पाकिस्तान के साथ बनाए गए चीनी-पाकिस्तान आर्थिक करीबी के तहत चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है।
इससे चीन को हिंद महासागर के रास्ते अफ्रीका से आने वाले कच्चे माल के लिए एक नई बंदरगाह मिलती है।
इसके साथ ही पाकिस्तान की ग्वादर बंदरगाह को आर्थिक गलियारे की अपनी नीति के तहत चीन विकसित कर रहा है, जिससे भारत को खतरा हो सकता है।
इसके साथ ही पाकिस्तान को चीनी हथियारों की सबसे बड़ी विदेशी खरीदार बन गई है। यह चीन के भारत के पड़ोसी राष्ट्र के रूप में उसे खतरनाक बना सकता है।
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भूमि अधिकार के विवाद
चीन और भारत के बीच सीमा विवाद दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। भूटान और भारत के साथ भी चीन के बीच सीमा विवाद है।
चीन ने अपने बड़े विदेशी निवेश के जरिए यह साबित किया है कि वह भारत के लिए भूमि अधिकार के विवाद को बढ़ावा देता है और इसे हल नहीं करने के पीछे कई रहस्यमय कारण हो सकते हैं।
इससे भारत के सीमा सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर पड़ सकता है।
इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण
चीन ने दुनिया भर के कई देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के जरिए अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई है।
चीन ने वर्ष 2000 से 2021 के मध्य तक दुनिया भर के 46 देशों में 78 बंदरगाहों पर 29.9 बिलियन डालर की लागत से 123 सी पोर्ट प्रोजैक्टों का निर्माण किया है।
चीन के निवेश से इन देशों की आर्थिक हालत बेहतर हो गई है, लेकिन यह सभी देश आर्थिक रूप से बेहतर नहीं हैं।
चीन के इन निवेशों का उद्देश्य युद्ध अथवा शांति की स्थिति में उनका इस्तेमाल करना है। चीन इन निवेशों के जरिए अपने आर्थिक, सामर्थ्य और राजनीतिक दबाव को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
चीन का समग्र दबाव
चीन ने दुनिया भर के कई देशों में व्यापारिक, राजनीतिक और सैन्य रूप से अपना समग्र दबाव बढ़ाया है।
चीन के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे निर्माण कार्यों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि चीन दुनिया भर के आठ देशों की बंदरगाहों पर नजर गड़ाए हुए है।
चीन इन देशों के साथ व्यापार, निवेश और रक्षा के लिए संधि और समझौतों की स्थापना करके अपने समग्र दबाव को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
इसके द्वारा चीन दुनिया के एक बड़े भाग को अपने अनुकूल बना रहा है और इससे भारत को भी खतरा हो सकता है।
भारत को चीन के इन कदमों से निपटने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। भारत को अपने सीमा सुरक्षा को मजबूत करने, अपने सम्प्रभुत्व को बढ़ाने और राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए चीन के साथ विवादों का समाधान करने की आवश्यकता है।
भारत को व्यापारिक, रक्षा, और सामर्थ्य के मामूले सामर्थ्य का विकास करने के लिए चीन के इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण और व्यापारिक गतिविधियों के समर्थन में भी अपने कदम बढ़ाने की आवश्यकता है। इससे भारत अपने लिए एक मजबूत समग्र दबाव बना सकता है और चीन के दबाव का सामना कर सकता है।
भारत को अपने संबंधित राष्ट्रों के साथ भी मजबूत बनाने की आवश्यकता है ताकि वह एक संघर्षशील एकाधिकारी के रूप में चीन के साथ खड़ा हो सके।
भारत को इससे अपने प्रतिष्ठा और अधिकारों का सम्मान मिल सके। भारत को विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों और विदेशी निवेशकों के साथ भी अधिक संबंध बनाने की आवश्यकता है ताकि वह एक विकल्पी स्रोत से आर्थिक, तकनीकी, और सामर्थ्य सहायता प्राप्त कर सके।
चीन के विभिन्न रूपों से भारत के पड़ोसी राष्ट्र को घेरने का प्रयास देखते हुए भारत को उनसे निपटने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाने की आवश्यकता है।
भारत को अपनी सीमा सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा, और सामर्थ्य को मजबूत करने के लिए चीन के इन प्रयासों के खिलाफ अपने राष्ट्रीय हित को सबसे महत्वपूर्ण मानकर उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।
भारत को समझदारी, दृढ़ता, और सहयोग के साथ इस मुश्किल समय से गुजरने की क्षमता होनी चाहिए।