देहरादून : उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में अब प्रारंभिक कक्षाओं के बच्चे राज्य आंदोलन के इतिहास के साथ ही कारगिल के अमर शहीदों के बलिदान को पढ़ेंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के बाद राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने हमारी विरासत और विभूतियां पुस्तक तैयार की है।
जिसको कक्षा छह से आठ तक सामाजिक विज्ञान विषय की सहायक पुस्तिका के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी की अध्यक्षता में बैठक की गई।
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राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की निदेशक वंदना गर्ब्याल ने बताया, बाल साहित्य के रूप में इस पुस्तक को तैयार किया गया है।
इसके माध्यम से छात्र-छात्राओं को राज्य में स्थित झील, झरने, वेशभूषा, खानपान और अपनी संस्कृति की जानकारी मिलेगी।
इन पुस्तकों में प्रारंभिक कक्षाओं में छात्र-छात्राएं श्रीदेव सुमन, तीलू रौतेली समेत कई महान विभूतियों के बारे में पढ़ेंगे।
वहीं, विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी यह पुस्तक एक आधार बनेगी।
इस पुस्तक के माध्यम से बच्चों को चौंदकोट जनशक्ति मार्ग की गाथा भी पढ़ने को मिलेगी।
इसके साथ ही पुस्तक में 1951 की टिहरी जिले के बूढ़ाकेदार की साझा चूल्हे की कहानी भी पढ़ने को मिलेगी।
जिसमें धर्मानंद नौटियाल, बाहदुर सिंह राणा और भरपूर नगवाण तीनों ने एक साथ रहकर सामाजिक समरसता का बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया था।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि, पुस्तक में भगवान राम का उत्तराखंड से जुड़ाव भी शामिल किया गया है।
पुस्तक में गढ़वाल से कुमाऊं तक राम मंदिर और उनकी पूजा शैली की जानकारी दी गई है। उत्तराखंड के पौड़ी जिले के सितोंस्यू में माता सीता का मंदिर है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहां सीता माता ने भू समाधि ली थी।वंदना गर्ब्याल , निदेशक एससीईआरटी ने बताया कि एससीईआरटी की ओर से कक्षा छह से आठ तक के छात्र-छात्राओं के लिए पुस्तक तैयार करने के बाद अब कक्षा नौ और 10वीं के छात्र-छात्राओं के लिए पुस्तक तैयार की जाएगी।