मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य जनजातीय शोध संस्थान द्वारा आयोजित ‘आदि गौरव महोत्सव’ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विज्ञान में क्षेत्र में जनजातीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिये प्रतिवर्ष ‘जनजातीय विज्ञान महोत्सव’ आयोजित कराए जाने की घोषणा की। जिसके लिये उत्तराखण्ड जनजातीय शोध संस्थान को आवश्कता अनुसार धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी।मुख्यमंत्री ने आदि गौरव महोत्सव में विभिन्न राज्य से आए जनजातीय समाज के लोगों से मुलाकात कर उनकी संस्कृति को जाना। देशभर से प्रतिभाग कर रहे विभिन्न जनजातियों के कलाकारों ने लोक नृत्यों की प्रस्तुति की।
‘जनजातीय विज्ञान महोत्सव’ आयोजित करेगी सरकार – धामी
मुख्यमंत्री ने बिरसा मुंडा जी की प्रतिमा में पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने आदि गौरव महोत्सव के आयोजन हेतु राज्य जनजाति शोध संस्थान का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा यह कार्यक्रम जनजातीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर एंव गैर जनजातीय समुदाय को भी जनजातीय समाज की कला एवं संस्कृति की विशेषताओं से अवगत कराने का कार्य करेगा। उन्होंने कहा भगवान बिरसा मुंडा ने मात्र 24 साल 7 महीने के अपने जीवनकाल में वो किया, जो अनंत समय तक याद रखा जाएगा। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बिरसा मुंडा जी का योगदान अतुलनीय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिरसा मुंडा जी के संघर्ष और बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। उनके आंदोलन ने अन्य जनजातीय समुदायों को भी संगठित किया और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी करने की प्रेरणा दी। वो एक महान समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जनजातीय समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ जागरुकता फैलाकर जनजातीय समाज को संगठित किया। उन्होंने कहा जनजातीय समाज हमारे भारत देश की मजबूत जड़ के समान है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में 4 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। जिसमें जनजातीय समुदाय के छात्रों को निशुल्क शिक्षा एवं हॉस्टल की सुविधा मिलती है। जनजातीय समाज के बच्चों को प्राईमरी स्तर से स्नातकोत्तर स्तर तक छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। अनुसूचित जनजाति की पुत्रियों की शादी हेतु 50 हजार का अनुदान प्रदान किया जा रहा है।जनजाति क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास तेजी से किया जा रहा है। जनजातीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु प्रतिवर्ष राज्य जनजाति महोत्सव तथा खेल महोत्सव आयोजित किये जा रहे हैं। जनजातीय शोध संस्थान के लिये 1 करोड़ के कार्पस फण्ड की भी व्यवस्था की गई है।