इस उपचुनाव में पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय चंदनराम दास की पत्नी और बेटे का नाम उठाया जा रहा है, जो कि राजनीतिक मैदान में नए दांव को संकेत कर सकता है।
विधानसभा चुनाव प्रबंधन समिति ने इन पांच दावेदारों के नामों का चयन किया है, जिनमें से दो नाम चंदनराम दास की पत्नी पार्वती दास और बेटे गौरव दास के हैं।
पार्टी के प्राथमिक चरण में दावेदारी के चुनौतीपूर्व प्रक्रिया में चंदनराम दास के बेटे की मजबूत दावेदारी के माध्यम से एक नई संभावना का संकेत मिल रहा है।
पार्टी के निर्धारित प्रक्रिया के मुताबिक, तीन नामों का पैनल तैयार किया गया है और यह पैनल केंद्रीय संसदीय बोर्ड को प्रस्तुत किया जाएगा।
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इसके परिणामस्वरूप, उनके नामांकन की घोषणा के लिए तैयारियों का समय तेजी से आ रहा है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इस उपचुनाव को चुनौती के रूप में देखा है और उन्होंने कहा कि पार्टी बागेश्वर में रिकॉर्ड मतों से जीत की ओर बढ़ रही है।
वह इस उपचुनाव को चंपावत उपचुनाव की तरह जीत के रूप में देख रहे हैं, जिसमें जनता ने कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति को अस्वीकार किया था और अपने प्रिय नेता स्वर्गीय चंदनराम दास की यादों को महत्वपूर्ण जीत के साथ याद किया था।
पार्टी ने उपचुनाव की तैयारियों में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसमें केंद्र और बूथ स्तर पर बैठकें आयोजित की गई हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उपचुनाव के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए हैं और पार्टी की प्रदेश पदाधिकारियों ने कठिन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयारियों में भाग लिया है।
यह स्पष्ट है कि पार्टी उपचुनाव में विजय प्राप्त करने के लिए सशक्त और आदर्श उम्मीदवार का चयन करने के लिए संकेत दे रही है।
इस उपचुनाव में भाजपा की रणनीति एक अद्वितीय अंतरराष्ट्रीय योगदान के साथ जुड़ी है, जो कि पार्टी को एक मजबूत प्राधिकृत और आदर्श व्यक्ति की ओर बढ़ने में मदद कर सकता है।
यह उपचुनाव भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उनके प्रिय नेता की यादों को महत्वपूर्ण जीत के साथ याद करने का एक माध्यम भी है।
पार्टी का आकस्मिक उम्मीदवार का चयन और राजनीतिक अद्वितीयता के साथ, भाजपा इस उपचुनाव में अद्वितीय प्रदर्शन करने के लिए तैयार है, जो कि उनके चुनावी विजय की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
यह उपचुनाव राजनीतिक संघर्ष का एक महत्वपूर्ण परिप्रेक्ष्य है, जो भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर का संकेत दे सकता है, जो उनके विचारों और योजनाओं के प्रति जनमानस में विश्वास को मजबूत कर सकता है।