जम्मू-कश्मीर के कठुआ में पिछले हफ्ते उत्तराखंड के पांच जवान मां भारती पर शहीद हो गये। राज्य गठन से लेकर अब तक 350 से भी अधिक जवान देश पर कुर्बान हो चुके हैं।
देश सेवा और देश प्रेम हमें विरासत में मिला है। हमें इन रणबांकुरों की वीरता और शहादत पर गर्व है लेकिन तब हमारा सिर शर्म से झुक जाता है ।
जब देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले इन शहीदों के नाम पर ही कमीशन और घोटालों का खेल हो। ऐसा ही कुछ खुलासा किया है आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने।
देहरादून के पुरुकुल में सैन्य धाम बन रहा है। उत्तराखंड पेयजल संसाधन एवं विकास निर्माण निगम इसका निर्माण कर रहा है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है और सीएम धामी इसे पांचवां धाम कहते है। सैन्य धाम के लिए पूरे प्रदेश के शहीदों के आंगन की मिट्टी लाई गयी है।
आरटीआई में खुलासा हुआ है कि सैन्य धाम का निर्माण भी भ्रष्टाचार की ईंटों से हो रहा है। एडवोकेट नेगी ने इस पूरे मामले की शिकायत सीबीआई से की है।
इस शिकायत में कहा गया है कि सैन्य धाम का पहला टेंडर 48 करोड़ का था। पोर्टल पर जारी टेंडर में दो कंपनियों मैसर्स शिव कुमार अग्रवाल और मैसर्स एमएचपीएल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने भाग लिया।
यह अल्पकालीन टेंडर 48 करोड़ का खुला। जबकि इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिए ग्लोबल टेंडर क्यों नहीं जारी किया गया, समझ से बाहर है।
इस टेंडर को विभाग ने निरस्त कर दिया और दोबारा से निविदा आमंत्रित की गयी। तत्कालीन वित्त निदेशक ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाया और पूछा कि यह तकनीकी बिड खोली ही क्यों गई?
इस आपत्ति के बावजूद दोबारा टेंडर जारी किया गया और फिर इन्हीं दो कंपनियों ने बिड डाली। अहम बात यह है कि दोनों कंपनियों की बिड के लिए स्टाम्प पेपर से लेकर नोटरी तक एक ही जगह से की गयी।
साफ है कि टेंडर में ही झोल था। टेंडर शिवकुमार अग्रवाल को मिल जाता है। टेंडर अब 49 करोड़ में छूटा और इसमें भी पेयजल निगम ने ठेकेदार पर मेहरबानी की कि एक करोड़ लाख रुपये का कंटीजेंसी एमांउट छोड़ दिया।
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार निगम ने इतनी बड़ी धनराशि का टेंडर बिना प्रशासनिक अनुमति के जारी किया था।
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक पेयजल निगम ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी विकासनगर यूनिट के प्रोजेक्ट मैनेजर रविंद्र कुमार को दी।
जब रविंद्र का तबादला देहरादून हुआ तो वह अपने साथ जेई शीतल गुरुंग और एई संजय यादव को भी योजना के साथ ले आए।
एडवोकेट नेगी के अनुसार सैन्य धाम की योजना बनाते समय इन इंजीनियरों और संबंधित अफसरों ने बेहद लापरवाही बरती कि 48 करोड़ का प्रोजेक्ट महज एक साल में बढ़कर 99 करोड़ हो गया।
आरटीआई से खुलासा हुआ है कि सैन्य धाम में जो मटिरियल उपयोग किया जा रहा है उसकी क्वालिटी और दाम को लेकर भी घोटाला हुआ हैं।’
एडवोकेट नेगी के मुताबिक ठेकेदार को निविदा शर्तों के विपरीत समय-समय पर अग्रिम भुगतान किया गया है।
अब तक 35 करोड़ 94 लाख का भुगतान किया जा चुका है। यही नहीं ठेकेदार को बिना निविदा के ही लगभग सात करोड़ 75 लाख रुपये के अतिरिक्त कार्य भी आवंटित कर दिये गये।
एडवोकेट नेगी के अनुसार निविदा के दौरान ठेकेदार की बिड कैपिसिटी को नापा जाता है। इस आधार पर ठेकदार शिवकुमार अग्रवाल की बिड कैपिसिटी लगभग 56 करोड़ है।
लेकिन अब यह कार्य लगभग 100 करोड़ का हो चुका है। ऐसे में इस ठेकेदार से किस आधार पर सैन्य धाम का कार्य कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस मामले की शिकायत सीबीआई को की है और इसके अलावा पीएमओ और सीवीसी को भी इस आशय में दस्तावेजों समेत पत्र प्रेषित किये हैं।
मेरा मानना है कि इस मामले की तुरंत जांच होनी चाहिए। यदि कहीं कोई गड़बड़ हुई है तो दोषी अफसरों, इंजीनियरों और ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
यह धाम शहीद सैनिकों, उनके परिवार और सैन्य परिवारों की आस्था से जुड़ा है। उनकी आस्था से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए।